For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं मूक बन जाती हूँ …।

मैं मूक बन जाती हूँ …।

नहीं, अब मैं इस गहन तम में नभ को न निहारूंगी
अपनी अभिलाषाओं को तम के गहन गर्भ में दबा दूंगी
दर्द की नमी को पलकों में ही दफना दूंगी
अपने गिले -शिकवों का बवंडर अपने दिल के किसी कोने में छुपा लूंगी

कितना विशवास था
तुम तो मेरे हृदय की टीस को पहचानोगे
यौवन की दहलीज़ पर पाँव रखते ही
हर निशा मैं तुम्हें निहारती थी
शशांक मेरे पागलपन पर मुस्कुराता था
पवन मुझे समझाती थी
मगर मैं स्वयं में खोई थी
सलौने सपनों में सोई थी
न जाने किसके लिए दिल धड़कता था
मेरा ख्वाब सवेरा होने से डरता था
हर बार सोचती थी मेरी मुराद पूरी होगी
लोग कहते हैं तो सही कहते होंगे
यही सोच सोच मैं
सुबह से शाम तक रात की प्रतीक्षा करती थी

रात आते ही बहुत प्रसन्न होती थी
गहन अन्धकार में नभ को एकटक निहारती थी
तारे के टूटते ही
हाथ जोड़ कर
अपने हृदय के आँगन में बसी छवि की गुहार करती
तारे टूटते रहे
हर तारे के साथ मेरे ख्वाब भी टूटते रहे

बेमन से मैं आज भी रात निहारती हूँ
मगर किसी तारे के टूटने पर
कुछ भी नहीं मांगती
अतृप्ति के गंभीर परिणाम से घबराती हूँ
इसीलिए मैं मूक बन जाती हूँ


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 637

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 10, 2014 at 2:47pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय  जी रचना पर आपकी  मधुर प्रशंसात्मक अभिव्यक्ति  का हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 9, 2014 at 2:19pm

आपकी इस संवेदनशील अभिव्यक्ति के लिए हृदय से धन्यवाद आदरणीय.

शुभ-शुभ

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 6:01pm

 आदरणीया गिरिराज भंडारी जी   रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 6:00pm

 आदरणीया विंदू जी  रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 5:59pm

 आदरणीया कल्पना रमानी  जी  रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 5:56pm

 आदरणीया मीना पाठक जी  रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार

Comment by Sushil Sarna on June 4, 2014 at 5:55pm

 आदरणीया कुंती मुख़र्जी रचना पर आपकी मधुर  प्रशंसा का हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 4, 2014 at 10:52am

आदरणीय , बहुत सुन्दर , लगातार के निराशा से उपजे भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है , आपको बधाइयाँ ॥

Comment by Vindu Babu on June 4, 2014 at 12:02am

गहन और मार्मिक रचना हुई है आदरणीय सुशील जी।

 नारी हृदय की वेदना को अभिव्यक्त करना आसान नही है लेकिन अपने बड़ी सहजता से अभिव्यक्त किया है।

हार्दिक बधाई आपको।

सादर

Comment by कल्पना रामानी on June 3, 2014 at 10:56pm

मगर किसी तारे के टूटने पर
कुछ भी नहीं मांगती
अतृप्ति के गंभीर परिणाम से घबराती हूँ
इसीलिए मैं मूक बन जाती हूँ......बहुत सुंदर पंक्तियाँ, आदरणीय, हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service