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छीन सकता है भला/गजल/ कल्पना रामानी

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छीन सकता है भला कोई किसी का क्या नसीब?

आज तक वैसा हुआ जैसा कि जिसका था नसीब।

 

माँ तो होती है सभी की, जो जगत के जीव हैं,

मातृ सुख किसको मिलेगा, ये मगर लिखता नसीब।

 

कर दे राजा को भिखारी और राजा रंक को,

अर्श से भी फर्श पर, लाकर बिठा देता नसीब।

 

बिन बहाए स्वेद पा लेता है कोई चंद्रमा,

तो कभी मेहनत को भी होता नहीं दाना नसीब।

 

दोष हो जाते बरी, निर्दोष बन जाते सज़ा,

छटपटाते मीन बन, जिनका हुआ काला नसीब।

 

दीप जल सबके लिए, पाता है केवल कालिमा,

पर जलाते जो उसे, पाते उजालों का नसीब।

 

‘कल्पना’ फिर द्वेष कैसा, दूसरों के भाग्य से,

क्यों न शुभ कर्मों से लिक्खें, हम स्वयं अपना नसीब।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2014 at 7:46pm

आदरणीय मित्रों, राम शिरोमणि जी,  शिज्जु जी,  उमेशजी,  अरुण अनंतजी,  जितेंद्र जी,  आशुतोष मिश्राजी,   गिरिराज जी,  मदन मोहनजी, श्याम नरेनजी, भुवन निस्तेज जी, लक्ष्मण धामी जी, आ॰ प्राची जी, कुंती जी, प्रिय मुकेशजी, विंदु बाबू,राजेश जी, आप सबका उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार।


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Comment by rajesh kumari on May 20, 2014 at 9:57am

बिन बहाए स्वेद पा लेता है कोई चंद्रमा,

तो कभी मेहनत को भी होता नहीं दाना नसीब।---vaah vaah 

bahut sundar ghazal kahi hai kalpna didi bahut saari badhaai aapko. 

 

Comment by Madan Mohan saxena on May 19, 2014 at 5:02pm

छीन सकता है भला कोई किसी का क्या नसीब?
आज तक वैसा हुआ जैसा कि जिसका था नसीब।

माँ तो होती है सभी की, जो जगत के जीव हैं,
मातृ सुख किसको मिलेगा, ये मगर लिखता नसीब।

सुन्दर ,खूबसूरत गज़ल


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 17, 2014 at 5:27pm

आदरणीया कल्पना जी,  खूब सूरत गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Vindu Babu on May 17, 2014 at 2:22pm

कर्म और नसीब का बढिया तालमेल गढ़ती हुई सुंदर गज़ल बनी है आदरणीया कल्पना दी..

आपको हार्दिक बधाई इस सार्थक रचना के लिए।

सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 2:03pm

कर दे राजा को भिखारी और राजा रंक को,

अर्श से भी फर्श पर, लाकर बिठा देता नसीब।

बिन बहाए स्वेद पा लेता है कोई चंद्रमा,

तो कभी मेहनत को भी होता नहीं दाना नसीब।....आदरणीया कल्पना जी ..आपकी रचनाओं में हमेशा ही कोई न कोई सन्देश होता है ..वाकई सब नसीब की ही बात है ..सादर बधाई के साथ 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 16, 2014 at 10:49pm

बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीया कल्पना जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 16, 2014 at 4:12pm

वाह आदरणीया वाह बहुत ही सुन्दर सार्थक सन्देश देती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने दिली से बधाइयाँ स्वीकारें.

Comment by umesh katara on May 15, 2014 at 7:46pm

बहुत सुन्दर अशआर कहे हैं वाहहहहहह


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 15, 2014 at 5:47pm

खूबसूरत ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर

कृपया ध्यान दे...

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