For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज

तुम्हारा प्यार

बना रहा साथ मेरे

साये की तरह

चलता रहा साथ

जहां-जहां मैं गई ।

देता रहा दिलासा

अकेले उदास मन को

जैसे तुम देते थे

मेरे कंधे पर प्यार से थपकी

उसी तरह का दुलार

आज फिर महसूस किया मैंने

जब सांझ की उतरती

गहरी उदासी ने

घेर लिया मन को मेरे ।

तुम ही नहीं

तुम्हारा प्यार भी जानता था

कि सांझ,

मुझे उदास कर देती है ?

शायद इसीलिए,

साये की तरह

चलता रहा साथ

जहां-जहां मैं गई |

मोहिनी चोरडिया, चेन्नई 

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2014 at 11:39am

मन डूबता-उतराता रहा, आदरणीया मोहिनीजी. आपकी हृदयस्पर्शी भावनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद. कोमल भावोद्गारों को गहराई से शब्द मिले हैं.

हृदय से बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 23, 2014 at 9:48pm

मर्मस्पर्शी भावनाएं अभिव्यक हुई हैं सीधे दिल तक पहुँच रही है 

इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई आ० मोहिनी जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 22, 2014 at 11:54am

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीया भावपूर्ण प्रस्तुति बधाई स्वीकारें.

Comment by vijay nikore on January 22, 2014 at 8:00am

कोमल भावों की सुन्दर अभिवयक्ति। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:28pm

सुन्दर एहसासों से सज़ी .....सुन्दर रचना ....बधाई आपको .....

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 21, 2014 at 7:41am

आदरणीया मोहिनी बहन, बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये हार्दिक बधाइयाँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2014 at 10:20pm

वाह वाह , आदरणीया मोहिनी जी , बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2014 at 7:27pm

तुम्हारा प्यार भी जानता था

कि सांझ,

मुझे उदास कर देती है ?

शायद इसीलिए,

साये की तरह

चलता रहा साथ

जहां-जहां मैं गई |....wah bahut khoob...aik meethee see kashish kee sundr rachna...haardik badhaaee

Comment by coontee mukerji on January 20, 2014 at 3:10pm

सुंदर अभिव्यक्त....सादर

Comment by Meena Pathak on January 20, 2014 at 1:56pm

बहुत सुन्दर , भावपूर्ण रचना | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service