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गज़ल - नाफरमानी लिखना (अरुन श्री)

आह   लिखो , हुंकार   लिखो ,  कुर्बानी  लिखना

बंद    करो   किस्सों   में    राजा  रानी  लिखना

 

सूखे   खेतों   की   किस्मत  में   पानी  लिखना

अब   लिखना  तो  पीलेपन  को  धानी  लिखना

 

और   भी   हैं   रिश्ते यारों  तुम  छोडो  भी अब

महबूबा   के    दर   अपनी    पेशानी    लिखना

 

मानवता   उन्वान ,  भरा  हो   प्रेम   कहन  में    

अपना   जीवन   ऐसी   एक   कहानी   लिखना

 

जब भी  तुम अपने लब पर मुस्कान लिखो तब

मेरे   माथे   पर   भी   कुछ   ताबानी   लिखना

 

जो  कर  दें   दरबारी   धार  कलम   की ,  ऐसे -

शाही    फरमानों    पर    नाफरमानी   लिखना
.
.
................................................. अरुन श्री !
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 808

Comment

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Comment by Arun Sri on February 5, 2014 at 12:11pm

आदरणीय Saurabh Pandey  सर  , आपकी नज़र तो पड़ी और उससे अच्छा ये कि आपको पसंद भी आ गई गज़ल ! :-)))))) बहुत बहुत धन्यवाद आपको !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2014 at 12:02pm

हर शेर पर अलग-अलग दाद.. और फिर पूरी ग़ज़ल पर बधाई..

बहुत दिनों पर आप से सुना है कुछ जोकि ग़ज़ल है. और आपने दिल के हुबाबों को हल्के हर्फ़ नहीं दिये हैं.

बहुत खूब !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 24, 2014 at 11:13pm

आदरणीय अरुण जी,

कमाल की गजल, हर एक  शेर लाजवाब बहुत बहुत बधाई 

Comment by Arun Sri on January 24, 2014 at 7:39pm

Dr.Prachi Singh मैम , गज़ल को इतना मान देने के लिए बहुत धन्यवाद आपको !

Comment by Arun Sri on January 24, 2014 at 7:38pm

CHANDRA SHEKHAR PANDEY  भाई , कुछ तो आप कि संगत का भी असर है कि शे'र सवासेर हो सके ! सराहने के लिए धन्यवाद ! :-))

Comment by Arun Sri on January 24, 2014 at 7:37pm

Sushil Sarna सर , बहुत दिनों बाद आपसे रूबरू होना सुखद है ! बहुत धन्यवाद ! :-))


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 24, 2014 at 11:43am

आ० अरुण जी 

हर शेर में उन्नत सोच अंगार की तरह दहक रही है... 

लाजवाब ग़ज़ल हुई है 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on January 23, 2014 at 7:10pm

भाई अरुण श्री जी कमाल का लेखन है . आग उगलती इस गजल और अपने योद्धा वाली अभिवृत्ति के लिए हार्दिक बधाई ले. किस किस शेर को कहे सब सवाशेर हैं. जय हो.

Comment by Sushil Sarna on January 23, 2014 at 7:07pm

वाआआआआअह अरुण जी वाह  .... शानदार ग़ज़ल का हर शेर शानदार और दमदार  …गहन भावों की अभिव्यक्ति वाली इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Arun Sri on January 23, 2014 at 10:41am

vandana tiwari  मैम , बहुत शुक्रिया पसंदगी के लिए !

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