For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1)

आपस  के  संवाद में,  कितने  ही  मंतव्य !
कुछ तो हैं संयत-सहज, अक्सर हैं वायव्य
अक्सर  हैं   वायव्य,   शब्द से  चोट करारी
वैचारिक  प्रतिकार,  अहं  ने  मति भी मारी
वाक्य-वाक्य में व्यंग्य, ढंग क्या हैं मानस के ?
हे ! मानव समुदाय, यही क्या सुख आपस के ?

 
 
2)
ऊँचा   उठता  है   धुआँ,   नीचे  जाती   धार
पर सचेत-मन व्यक्ति का, यथा उचित व्यवहार  
यथा  उचित   व्यवहार,  तभी  वह  संसारी  हो
’सीख - सिखाना’  कर्म   साधना  सुखकारी  हो
चर्चा,   नहीं   विवाद,   इसी  में  सार   समूचा
शिष्ट बुद्धि,  सद्भाव,   उठाते  जन  को  ऊँचा !

************************

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1266

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 13, 2013 at 9:58pm

उत्तम भाव लिए कुण्डलियाँ छंद बहुत सुन्दर लगी | ये भाव तो बेहद प्रभावी है -

चर्चा,   नहीं   विवाद,   इसी  में  सार   समूचा 
शिष्ट बुद्धि,  सद्भाव,   उठाते  जन  को  ऊँचा !

ढेरों बधाइयां आदरणीय 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 13, 2013 at 8:15pm

आदरणीय सौरभ सर सादर प्रणाम ...............

बहुत ही सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं आपने ...................जय हो

बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Sushil Sarna on December 13, 2013 at 7:42pm

आदरणीय सौरभ जी, आपकी कुंडलिया प्रस्तुति,शब्द चयन, भाव प्रवाह अद्वितीय है   .... इस संदेशात्मक प्रस्तुति के लिए हार्दिक बढ़ाए सर 

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 7:24pm

//अक्सर  हैं   वायव्य,   शब्द से  चोट करारी
वैचारिक  प्रतिकार,  अहं  ने  मति भी मारी//

//चर्चा,   नहीं   विवाद,   इसी  में  सार   समूचा
शिष्ट बुद्धि,  सद्भाव,   उठाते  जन  को  ऊँचा !//

आपकी यह दो कुण्ड्लियाँ जन-जन के लिए , देश-विदेश के लिए मार्ग-दर्शक हैं। बधाई।

 

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 13, 2013 at 7:19pm

आदरणीय सौरभ जी

कुण्डलिया के बारे में में क्या कहू i सूर्य को दीपक दिखाना आत्मापमान  करना है i  आपके शब्द चयन को प्रणाम i नीचे  जाती धार ---यह निरीक्षण  और अनुभव की बात है i प्रणाम आदरणीय i

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 13, 2013 at 6:36pm

बहुत सुन्दर  कुण्डलियाँ, बधाई आप को आदरणीय 

Comment by Meena Pathak on December 13, 2013 at 6:08pm

बहुत सुन्दर संदेशपरक कुण्डलियाँ, सादर बधाई आप को आदरणीय 

Comment by Satyanarayan Singh on December 13, 2013 at 5:54pm
परम आदरणीय सौरभ जी सादर,
ह्रदय को स्पर्श करने वाली और एकदम सच्ची यथार्थ और प्रेरक बातें आपने इन कुंडलियों के माध्यम से व्यक्त की है आदरणीय बहुत बहुत बधाई.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 13, 2013 at 5:11pm

भाई राहुलजी, छंद-प्रस्तुति की पंक्तियाँ आपको यदि सार्थक लग रही हैं, तो यह मेरे रचनाकर्म को मिला अनुमोदन ही है.
बहुत-बहुत धन्यवाद, भाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 13, 2013 at 5:08pm

आदरणीया कुन्तीजी, हृदय से आभारी हूँ.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा त्रयी .....वेदना
"आ. भाई सुशील जी, सादर आभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . असली - नकली
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post दिल चुरा लिया
"   आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत ग़ज़ल प्रयास की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब।"
Wednesday
Sushil Sarna posted blog posts
Tuesday
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

दिल चुरा लिया

२२१ २१२१   १२२१  २१२  उसने  सफ़र में उम्र  के  गहना  ही  पा लियाजिसने तपा के जिस्म  को  सोना बना…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पतझड़ छोड़ वसन्त में,  उग जाते हैं शूलजीवन में रहता नहीं, समय सदा अनुकूल।१।*सावन सूखा  बीतता, कभी …See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"आदरणीय उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"आदरणीया बबिता जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service