For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन में पसरे घोर तम का नाश होना चाहिए

ज्ञान का चहुँ ओर यों प्रकाश होना चाहिए

मन में पसरे घोर तम का नाश होना चाहिए

 

बढ़ रही तकनीक क्रांति ला रहे उद्योग अब

तब तो मेरे गाँव का विकाश होना चाहिए

 

देखता है स्वप्न सोते जागते दिन रात मन

बाँधने मनगति को तप का पाश होना चाहिए  

 

जीतने का हर समय प्रयास करना है उचित

हार कर हमको नहीं निराश होना चाहिए

 

घर के भीतर “दीप” जलना सिद्ध होता है सही

आपका भगवान् से निकाश होना चाहिए

 

निकाश - समीपता   

 

संदीप पटेल “दीप”

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 22, 2013 at 1:41pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, आदरणीय आशुतोष जी, आदरणीय रवि जी, आदरणीया गीतिका दीदी, आदरणीय नीरज कुमार जी, आदरणीय शिज्जू जी, आदरणीय गोपाल सरजी , आदरणीय अरुण भाई साहब, आदरणीय गिरिराज सर, आदरणीय जीतेन्द्र जी, आदरणीय सौरभ सर जी ...........आप सभी के उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए आभारी हूँ ....स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

आदरणीय सौरभ सर जी आप क्या कहते कहते रुक गए हैं

कुछ मार्गदर्शन सुझाव या डांट लगानी हो तो मैं तैयार हूँ

जय हो


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 22, 2013 at 2:01am

ऐसा ?? ...

ख़ैर ........

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 22, 2013 at 12:58am

बहुत सुंदर व् सार्थक संदेश देती हुयी  गजल पर, बधाई स्वीकारें आदरणीय संदीप जी

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 21, 2013 at 9:48pm

बहुत खूब रचना आदरणीय गिरिराज भाई साहब की बात पर गौर फरमा लीजिये और सोने पे सुहागा हो जाएगा 

दिली मुबारकबाद आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2013 at 4:46pm

आदरनीय सन्दीप भाई , लाजवाब द्विपदियों के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!

घर के भीतर “दीप” जलना सिद्ध होता है सही --  की जगह ---घर के भीतर “दीप” जलना सिद्ध करता है यही

पढ के एक बार  देख लें , शायद जादा सही लगे !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 21, 2013 at 12:19pm

आदरणीय प्रिय मित्रवर बहुत ही सुन्दर संदेशात्मक गजल रची है आपने खूबसूरत अशआर हुए हैं मित्र बधाई स्वीकारें .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 20, 2013 at 9:21pm

देखता है स्वप्न सोते जागते ------- इतना अच्छा लिखकर  फिर यह क्या --- 

आपका भगवान् से निकाश होना चाहिए ------ पटेल जी चाहे जितना दम लगाना पड़े

पर ऐसा समझौता न करे i आप तो काफी प्रतिभावान है  i मेरा स्नेह i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 20, 2013 at 8:28pm

//ज्ञान का चहुँ ओर यों प्रकाश होना चाहिए

मन में पसरे घोर तम का नाश होना चाहिए//  बहुत बढ़िया आदरणीय संदीप जी

इस ग़ज़ल के लिये दिली दाद कुबूल करें

Comment by Neeraj Neer on November 20, 2013 at 8:02pm

बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना के लिए बधाई ..

Comment by वेदिका on November 20, 2013 at 4:00pm

देखता है स्वप्न सोते जागते दिन रात मन

बाँधने मनगति को तप का पाश होना चाहिए,, बहुत सुंदर बंद है

ज्ञान का चहुँ ओर यों प्रकाश होना चाहिए

मन में पसरे घोर तम का नाश होना चाहिए,,, हृदय से निकली कामना बहुत प्रभावशाली है!

कहीं कहीं मुझे समझ नहीं आ रहा,  //तब तो मेरे गाँव का विकाश होना चाहिए// विकाश सही है या विकास! 

सुंदर और सार्थक द्विपदियाँ रची है, बधाई प्रेषित है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service