For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल-लाश मुहब्बत की उठाता फिरता हूँ

लाश मुहब्बत की उठाता फिरता हूँ
गीत गमों के गुनगुनाता फिरता हूँ

काश के मिल जाये खुशी का पल कोई
हाथ फकीरों को दिखाता फिरता हूँ

नींद हमें आती नहीं दुनिया वालो
साथ सितारों को जगाता फिरता हूँ

हो न अँधेरा आशियाने में उनके
सोच यही खुद को जलाता फिरता हूँ

खूब किया है फैसला किस्मत तूने
जख्म भरे दिल को छुपाता फिरता हूँ

उमेश कटारा
मौलिक एंव अप्रकाशित



Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 11, 2013 at 11:20am

हो न अँधेरा आशियाने में उनके
सोच यही खुद को जलाता फिरता हूँ,,, बहुत बढ़िया

 बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2013 at 5:35pm

आदरणीय उमेशजी, आपकी यह ग़ज़ल एक दफ़े शुरु होकर चुपचाप असर करती जाती है. बहुत-बहुत बधाइयाँ.

सादर

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 18, 2013 at 6:54pm
सुंदर प्रस्तुति बधाई
Comment by राजेश 'मृदु' on November 18, 2013 at 3:41pm

हार्दिक बधाई इस सुंदर प्रस्‍तुति पर, सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 18, 2013 at 9:31am

खूब किया है फैसला किस्मत तूने
जख्म भरे दिल को छुपाता फिरता हूँ........वाह! कमाल का शेर,

बेहतरीन गजल पर दिली दाद कुबूल कीजिये आदरणीय उमेश जी

Comment by वेदिका on November 17, 2013 at 11:51pm

हो न अँधेरा आशियाने में उनके
सोच यही खुद को जलाता फिरता हूँ,,, बहुत बढ़िया शेअर हुआ है| 

बहुत खूब गज़ल के लिए दाद कुबुलें आ0 उमेश जी!

Comment by ram shiromani pathak on November 17, 2013 at 11:51pm

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 1:39pm

बहुत ही सुन्दर आदरणीय बहुत ही बढ़िया अशआर हार्दिक बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 16, 2013 at 11:48pm

बहुत बढ़िया आदरणीय उमेश कटारा जी दाद कुबूल करें

Comment by Saarthi Baidyanath on November 16, 2013 at 8:31pm

बहुत बढ़िया ग़ज़ल ....

नींद हमें आती नहीं दुनिया वालो
साथ सितारों को जगाता फिरता हूँ....बहुत खूब उमेश कटारा साहब :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service