For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर बारिशें होने लगती हैं......

फिर बारिशें होने लगती हैं......

कभी कभी
एक दावानल सा भड़क जाता है
मन के
हरे भरे /महकते
चहचहाते /किलोल करते
गर्जनाओं और वर्जनाओं के / जंगल में
डर
चीखों और चीत्कारों के साथ
हावी हो जाता है....
बेचैनी / घबराहट / घुटन / यंत्रणा
जैसे शब्द
किसी क्षण की चरम स्थितियों का
ब्रह्माण्ड रच पाते होंगे
मुझे संदेह है / पर अब
संदेह / इस बात में नहीं कि
जीजिविषा की छटपटाहट / और
पूरी एकाग्रता से
क्षणांश का /अंतिम प्रयास
जीवन को खींच लाता है
हर बार
फिर निरंतरता की ओर
फिर बारिशें होने लगती हैं
भीग जाता है मन
फिर हरा भरा हो जाता है
मन का जंगल..
मैं जानता हूँ / डर छाया की तरह /
मेरे साथ चलता रहेगा / दोपहर से शाम तक
मुझे परवाह नही
क्योंकि मेरे साथ होंगे
संघर्ष में जीत के अनेक अनुभव
तेरी असीम कृपा और
सार्थकता के क्षण ....

 -ललित मोहन पन्त

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 18, 2013 at 2:19pm

मैं जानता हूँ / डर छाया की तरह /
मेरे साथ चलता रहेगा / दोपहर से शाम तक
मुझे परवाह नही
क्योंकि मेरे साथ होंगे
संघर्ष में जीत के अनेक अनुभव................सकारात्मक अंत 

सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 16, 2013 at 8:26pm

अरेवाह ! सकारात्मक नोट पर कविता का सम्पन्न होना उत्साहित कर गया.

कविता में पंक्ति-परिवर्तन तथा प्रयुक्त चिह्नों के प्रयोग का आधार कुछ स्पष्ट नहीं हुआ. कृपया साझा कीजियेगा.

सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 12:38pm

बेहतरीन रचना ..आदरणीय डॉ ललित जी इस सुंदर भावमयी रचना हेतु तहे दिल बधाई 

Comment by dr lalit mohan pant on November 16, 2013 at 12:42am

आ ० Baidya Nath 'सारथी'  जी डॉ. अनुराग सैनी जी Shijju ShakoorAbhinav जी ArunMeena Pathak जी  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी  आप सभी का हृदय  से आभार  . मन प्रफुल्लित हुआ आपकी सराहना पाकर  .... सदैव ऐसे स्नेह बनाये रखें  . 

Comment by Saarthi Baidyanath on November 15, 2013 at 10:24pm

क्या बात ....भावनात्मक है !....

एक दावानल सा भड़क जाता है
मन के
हरे भरे /महकते
चहचहाते /किलोल करते
गर्जनाओं और वर्जनाओं के / जंगल में.....बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति , शब्दों की अच्छी गुंथन..:)

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 15, 2013 at 10:16pm

सुन्दर और सार्थक कविता 

अपने अर्थ को बयां करने में सक्षम 

बधाई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 15, 2013 at 9:15am

बहुत अच्छी कविता आदरणीय डॉ ललित मोहन पंत जी बधाई स्वीकार करें

Comment by Sushil.Joshi on November 14, 2013 at 9:12pm

सुंदर भावाभिव्यक्ति है आ0 पंत जी...... हार्दिक बधाई....

Comment by Abhinav Arun on November 14, 2013 at 7:27pm

सशक्त रचना डॉ ललित जी हार्दिक बधाई !

Comment by Meena Pathak on November 14, 2013 at 12:06pm

बहुत सुन्दर प्रस्तुति | बधाई स्वीकारें | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service