For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्यों, जीवन पर्यन्त मरीचिकायें आखेट करती है जीवन का ???

रचना पूर्व प्रकाशित होने के कारण तथा ओ बी ओ नियमों के अनुपालन के क्रम मे प्रबंधन स्तर से हटा दी गयी है, लेखक से अनुरोध है कि भविष्य में पूर्व प्रकाशित रचनाएँ ओ बी ओ पर पोस्ट न करें | (08.12.2013 / 22:35)

एडमिन
2013120807

Views: 532

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Admin on December 6, 2013 at 3:04pm

आदरणीय डॉ ललित मोहन पंत जी, कृपया संलग्न स्क्रीन शॉट का अवलोकन करें, जैसा कि आप को ज्ञात ही है कि ओ बी ओ नियमानुसार यहाँ पर केवल वही रचना प्रकाशित की जा सकती है जो किसी भी वेबसाइट पर प्रकाशित न हुई हो, यह रचना पूर्वप्रकाशित है, जबकि आपने इस रचना के अंत में अप्रकाशित होने की घोषणा कर रखी है, दरअसल आपकी यह रचना "महीने की श्रेष्ठ रचना" हेतु विचारणीय थी किन्तु जांच के  क्रम में यह पूर्व प्रकाशित मिली । 

इस सम्बन्ध में कृपया अपना मंतव्य दें । 

Comment by dr lalit mohan pant on November 28, 2013 at 12:17am

 आ ० डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी SANDEEP KUMAR PATELजी  गिरिराज भंडारी जी annapurna bajpaiजी विजय मिश्रजी Meena Pathakजी Dr.Prachi Singhजी Saurabh Pandey जी ,
आप सबकी उत्साहित करती प्रतिक्रियाओं के प्रति आभारी हूँ  . मैं स्वयं को व्यक्त कर आप सब विज्ञ जन तक पहुँच पाया  यह अनुभूति मुझे हर्षित कर रही है  । ऐसे ही सतत स्नेह कि अभिलाषा में  .... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 28, 2013 at 12:02am

सुंदर रचना साझा करने के लिए धन्यवाद, आदरणीय


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 26, 2013 at 5:24pm

आ० ललित मोहन पन्त जी 

रचना की अंतर्धारा बहुत पसंद आयी 

...अनंत को निहारते हुए उसके सापेक्ष जिजीविषाओं के बौनेपन को देखना और उस पर भी मरीचिका ऐसी की मानव मन जानते बूझते उलझा उलझा सा जैसे खुद ही आखेटक की गिरफ्त में जाने को तैयार...

पंक्ति दर पंक्ति अभिव्यक्त सोच के सुलझेपन और स्पष्टता से गुज़रना बहुत अच्छा लगा 

हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर .

Comment by Meena Pathak on November 22, 2013 at 7:07pm

आदरणीय ललित जी सुन्दर भावपूर्ण रचना हेतु बधाई स्वीकारें 

Comment by विजय मिश्र on November 22, 2013 at 5:31pm
पंतजी , प्रश्न आपके पाइन के पेड़ से कम ऊँचे नहीं ? आपने अपनी कविता नें प्रत्येक संघर्षशील व्यक्ति का प्रतिनिधित्व किया है जो अपनी आकांक्षा और यथार्थ के कसमकस में समूची उमर गुजार देता है | मानवीय अन्तर्द्वन्द पर एक आत्मीय रचना |अनेक बधाईयाँ|
मैं भी आश्वस्त नहीं मगर लगता है कि इतिहास का वह पात्र सम्पाती था ,जटायु का अनुज जो सूरज छूने चला था |
Comment by annapurna bajpai on November 22, 2013 at 4:49pm

आ0 ललित मोहन पंत जी सुंदर भावों की प्रस्तुति के लिए बधाई । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 21, 2013 at 5:50pm

आदरनीय, बहुत भाव पूर्ण , सुन्दर रचना !!! सतत जीवन संग्राम मे अपनी ही आकांक्षाओं से जूझते  मन मे उठने वाले सवाल का सुन्दर चित्रण !!!!!  आपको बधाई !!!!                

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 21, 2013 at 3:44pm

बहुत सुन्दर आदरणीय सादर बधाई स्वीकारिये

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 21, 2013 at 1:24pm

पन्त जी

आपका भाव पक्ष प्रबल है

शुभ  कामनाये i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
19 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service