For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ग़ज़ल के फ़लक पर - १" संपादक - राणा प्रताप सिंह - प्रविष्टि आमंत्रित

अंजुमन प्रकाशन की नई पेशकश "ग़ज़ल के फ़लक पर - १"
(२०० युवा शाइरों का साझा ग़ज़ल संकलन)

पुस्तक परिचय

पुस्तक – ग़ज़ल के फ़लक पर - १
संपादक – राणा प्रताप सिंह
२०० शाइरों की ३-३ ग़ज़लें
पृष्ठ – २०८
पुस्तक आकार – A4 (डबल डिमाई से दोगुना आकार)
बाईंडिंग – हार्ड बाउंड
पुस्तक मूल्य – ४०० रुपये

इस संकलन में शामिल होने के लिए निम्नलिखित नियम व शर्त हैं -

* देश-विदेश के ऐसे शाइर जिनका जन्म १ अप्रैल १९७४ को अथवा उसके बाद हुआ है केवल उन्हें ही इस संकलन में स्थान दिया जाएगा|

* शाइरों से १० मौलिक प्रतिनिधि ग़ज़लें आमंत्रित हैं, आग्रह है कि शाइर अपनी वो ग़ज़लें भेजें जिनको पाठकों व श्रोताओं से अधिकाधिक स्नेह मिला हो|

* चयन व सम्पादन के उपरांत प्रत्येक शाइर की तीन से पांच ग़ज़लों को संकलन में स्थान मिलेगा अर्थात संकलन में कुल ६०० से अधिक गज़लें प्रकाशित होंगी|

* गज़लें देवनागरी लिपि में टाइप की हुई / स्पष्ट हस्तलिखित होनी चाहिए| प्रत्येक पृष्ठ पर केवल एक ग़ज़ल होनी चाहिए| प्रविष्टि यदि ई-मेल से भेज रहे हैं तो ग़ज़लें वर्ड फ़ाइल में कृतिदेव अथवा यूनीकोड फॉण्ट में टाइप होनी चाहिए|

* ग़ज़लों के साथ शाइर अपना परिचय भेजें| परिचय में केवल निम्न बिन्दुओं को शामिल करें - नाम / जन्म तिथि / एक मोबाइल नंबर / एक ई मेल पता / निवास
इनके अतिरिक्त कोई जानकारी न भेजें | फोटो न भेजें |

* इस संकलन में केवल उन शाइर को स्थान मिलेगा जिनका जन्म ३१ मार्च १९७४ के बाद हुआ है| उम्र सत्यापित करने के लिए ई-मेल से कृपया अपना हाईस्कूल का अंक पत्र स्कैन करके अथवा डाक से भेजते समय हाईस्कूल अंक पत्र की स्वप्रमाणित छायाप्रति भेजें अथवा कोई ऐसा प्रपत्र प्रस्तुत करें जिससे शाइर की उम्र सत्यापित हो सके |
शाइर की उम्र सत्यापित न हो पाने की दशा में संकलन में स्थान दे पाना संभव न होगा|

* शाइर लिखित रूप से स्वप्रमाणित करें कि ग़ज़लें नितांत मौलिक हैं, इसमें किसी के कापीराईट का उल्लंघन नहीं हुआ है | यदि कापीराईट का उल्लंघन होने के कारण प्रकाशक पर किसी प्रकार की कार्यवाही की गई तो शाइर प्रकाशक की क्षतिपूर्ती करेगा|

* संकलन के लिए प्रविष्टियों के चयन का सर्वाधिकार सम्पादक के पास सुरक्षित है | किसी शाइर की ग़ज़लों का चयन न होने की दशा में संपादक शाइर को कारण बताने को बाध्य नहीं होगा

* संकलन में स्थान मिलने पर शाइर संकलन खरीदने को बाध्य नहीं होगा|

* प्रकाशनोपरांत पुस्तक आनलाइन बिक्री के लिए उपलब्ध होगी |

* पुस्तक शाइरों/पाठकों हेतु प्रकाशन पूर्व ‘प्री बुकिंग’ के लिए उपलब्ध होगी जिस पर प्रकाशक द्वारा उचित छूट दी जायेगी| (पुस्तक वीपीपी से नहीं भेजी जायेगी)  

* प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि ३१ दिसंबर २०१३ है | संकलन के मार्च २०१४ तक प्रकाशित होने की संभावना है|

ग़ज़लें भेजने का पता -
डाक से -
अंजुमन प्रकाशन
942 मुट्ठीगंज (आर्य कन्या चौराहा) इलाहाबाद 211003

ई मेल से -
singhpratapus@gmail.com

Views: 1438

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 11, 2013 at 10:15pm

ग़ज़ल के फ़लक पर ---के लिए मेरी अग्रिम शुभकामनायें ,राणा प्रताप जी ,वीनस जी को अभी से बधाई .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 11, 2013 at 2:33pm

भाई अभिनव अरुण जी, आपके माध्यम से यह साझा कर रहा हूँ कि अंजुमन प्रकाशन की यह योजना मात्र नविदितों के लिए ही न हो कर नवोदितों के लिए भी है. सर्वमान्य और स्थापित शुअरा की ग़ज़लें भी इस संकलन में स्थान पायेंगीं यदि उनकी मात्र एक किताब ही प्रकाशित हुई है.

Comment by Abhinav Arun on November 11, 2013 at 4:57am

अंजुमन प्रकाशन के स्वर्णिम पर खुल रहे हैं और अपनी चमक बिखेर रहे हैं ...नयी पहल के लिए अंजुमन प्रकाशन , श्री वीनस जी और श्री राणा जी को ढेरों बधाई और शुभकामनाएँ ! संकलन कुशल हाथों में है ...मील का पत्थर साबित होगा ... नवोदित शायरों के लिए निश्चित ही एक लपक लेने वाला अवसर है सो उन्हें भी शुभकामनायें !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 11, 2013 at 1:26am

इस गरिमामय पहल से अंजुमन प्रकाशन ने ओबीओ प्रबन्धन के सदस्य राणाभाई की विशेषता को न केवल चिह्नित किया है बल्कि उन्हें सार्थक दायित्व भी सौंप दिया है.

विश्वास है,  ग़ज़ल के फ़लक पर भाग -१ के नियमानुसार अर्हतायोग्य ग़ज़लकार अपनी-अपनी ग़ज़लों के साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेंगे और अन्य ग़ज़लकारों तक सूचना संप्रेषित कर वीनसभाई के साहित्यिक उत्साह तथा राणा भाई के साहित्यिक अनुशासन को भरपूर मान देंगे. 

हृदय से अग्रिम शुभकामनाएँ.

शुभ-शुभ

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 8:21pm

सराहनीय प्रयास,  आदरणीय  भाई वीनस जी को शुभकामनायें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 10, 2013 at 5:28pm

"परों को खोलते हुये-1" के बाद एक और सराहनीय कदम और निश्चित ही नवहस्ताक्षरों की उम्मीदों को एक ज़मीन मिलेगी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 10, 2013 at 12:21pm

आ0 वीनस भाईजी एवं राणा भाईजी,  गजल के क्षेत्र में युवा गजलकारों को स्वर्णिम राह दिखाने एवं आत्मसम्मान को आत्मसात करके स्वाभिमान दिलाने हेतु आप लोगों के सार्थक व प्रसशनीय कार्य के लिए आप लोगों एवं अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद को तहेदिल से शुभकामनाओं सहित हार्दिक बधाई।  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 10, 2013 at 8:37am

अंजुमन प्रकाशन का सराहनीय प्रयास, वीनस जी को शुभकामनायें...........

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 8:58pm

युवा शाइरों के लिए इस सुनहरे अवसर को प्रदान करने हेतु अनेकोंनेक बधाई आ0 वीनस जी...

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 9, 2013 at 5:30pm

आदरणीय वीनस भाई एवं आदरणीय राणा भाई जी आप दोनों को हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएं. बहुत ही सार्थक एवं सराहनीय कदम.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कभी इधर है कभी उधर है भाती कभी न एक डगर है इसने कब किसकी है मानी क्या सखि साजन? नहीं जवानी __ खींच-…"
10 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय तमाम जी, आपने भी सर्वथा उचित बातें कीं। मैं अवश्य ही साहित्य को और अच्छे ढंग से पढ़ने का…"
3 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय सौरभ जी सह सम्मान मैं यह कहना चाहूँगा की आपको साहित्य को और अच्छे से पढ़ने और समझने की…"
6 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"कह मुकरियाँ .... जीवन तो है अजब पहेली सपनों से ये हरदम खेली इसको कोई समझ न पाया ऐ सखि साजन? ना सखि…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"मुकरियाँ +++++++++ (१ ) जीवन में उलझन ही उलझन। दिखता नहीं कहीं अपनापन॥ गया तभी से है सूनापन। क्या…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"  कह मुकरियां :       (1) क्या बढ़िया सुकून मिलता था शायद  वो  मिजाज…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"रात दिवस केवल भरमाए। सपनों में भी खूब सताए। उसके कारण पीड़ित मन। क्या सखि साजन! नहीं उलझन। सोच समझ…"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted blog posts
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service