For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल: दर पे कभी किसी के भी सज्दा नहीं किया//शकील जमशेदपुरी//

बह्र: 221/2121/1221/212

_____________________________

दर पे कभी किसी के भी सज्दा नहीं किया
हमने कभी जमीर को रुसवा नहीं किया

हमराह मेरे सब ही बलंदी पे हैं खड़े
पर मैंने झूठ का कभी धंधा नहीं किया

जाने न कितनी रात मेरी आंख में कटी
नींदों से तेरे ख्वाब का सौदा नहीं किया

मजबूर था सो बोल दिया झूठ चांद से
तुमने हमारे जख्म को ताजा नहीं किया

मुद्दत के बाद पूछना कैसे हो तुम 'शकील'
एहसास छेड़ कर के ये अच्छा नहीं किया

-शकील जमशेदपुरी

______________________________

*मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 940

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 19, 2013 at 2:05pm

क्या बात है जोरदार ग़ज़ल कही है बधाई हो

आदरणीय वीनस जी ने जो कहा है उसे अवश्य देख लेंगे आप

जय हो

Comment by शकील समर on October 18, 2013 at 8:52am

आदरणीय वीनस सर
गजल चमचमा रही है ये आपके अमूल्य सुझावों का ही परिणाम है। कृपा दृष्टि बनाए रखिएगा। आभार है।

Comment by वीनस केसरी on October 17, 2013 at 9:22pm

बहुत शानदार ग़ज़ल कही है भाई ... अशआर दुरुस्त हो गए हैं ... ग़ज़ल चमचमा रही है
ढेरो दाद

एहसास छेड़ कर के
---
छेड़ क्रिया है .. कर सहायक क्रिया है ... के शब्द भर्ती का है इसे हटाना पड़ेगा


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 7:27pm

आपकी ग़ज़ल ने दिल खुश कर दिया, शकील साहब. अश’आर से ग़ज़ल छलक कर बाहर आ रही है.

बहुत-बहुत बधाई.. . वाह

Comment by विजय मिश्र on October 16, 2013 at 6:10pm
शकील भाई , बहुत खूब लिक्खा , शुक्रिया ."

मजबूर था सो बोल दिया झूठ चांद से
तुमने हमारे जख्म को ताजा नहीं किया | - एहसास की मासूमियत काबिलेतारीफ .
Comment by अरुन 'अनन्त' on October 16, 2013 at 4:23pm

आदरणीय शकील भाई बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही है आपने सभी अशआर पसंद आये खासकर अंतिम शेर अधिक पसंद आया उसके लिए विशेष दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Saarthi Baidyanath on October 15, 2013 at 5:57pm

चंद अशआर बहुत अच्छे लगे शकील साहब ...बढ़िया !...बधाई स्वीकारें ! विद्वजनों की बातें भी अमल में लायें..नमन   :)

Comment by शकील समर on October 15, 2013 at 3:19pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी
बहुत बहुत आभार आपका।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 15, 2013 at 3:14pm
आदरणीय शकील भाई , बहुत लाजवाब गज़ल कही है !!!!! दिली दाद कुबूल करें !!!

हमराह मेरे सब ही बलंदी पे हैं खड़े
पर मैंने झूठ का कभी धंधा नहीं किया --------- बहुत सुन्दर भाई वाह !!!!
Comment by शकील समर on October 15, 2013 at 3:05pm

आदरणीय वीनस सर द्वारा दिए गए सुझावों के तहत गजल को संशोधित किया गया है। एक बार पुन: आप सभी शिल्प के जानकारों का ध्यान चाहूंगा। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service