For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल: याद आता है वो धड़कन का सुनाई देना//शकील जमशेदपुरी//

बह्र— 2122/2122/2122/22

थाम के कांधे को हाथों में कलाई देना
याद आता है वो धड़कन का सुनाई देना

प्यार ने जिसके बना डाला है काफिर मुझको
ऐ खुदा उनको जमाने की खुदाई देना

तरबियत आंसू की कुछ ऐसे किया है हमने
अब तो मुश्किल है मेरे गम का दिखाई देना

याद आती है जुदाई की घड़ी जब हमको
तो शुरू होता है चीखों का सुनाई देना

बिन तेरे खुश रहने का इल्जाम था सिर मेरे
काम आया मेरे अश्कों का सफाई देना

जब भी रूठा हूं मनाती है वो ऐसे मुझको
रोते बच्चे को किसी मां का मिठाई देना

हाल इसने यूं बना रक्खा है बंदी की तरह
कैद से अपने मेरे दिल को रिहाई देना

-शकील जमशेदपुरी

___________________________

*मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 994

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 22, 2013 at 6:14pm

वाह क्या कहने ... बधाई स्वीकार करें ..
सप्रेम 

Comment by शकील समर on October 18, 2013 at 8:54am

आ​दरणीय Saurabh Pandey जी
हौसला अफजाई के लिए बहुत—बहुत शुक्रिया।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 4:30pm

ख़याल और फ़िक्र ग़ज़ब ! आगे कई बातें साझा हो ही चुकी हैं.

आपसे बहुत उम्मीदें हैं भाईजी.    बहुत-बहुत बधाई .. .

Comment by Sushil.Joshi on October 15, 2013 at 4:45am

बढ़िया प्रस्तुति है आदरणीय शकील भाई.....

Comment by MAHIMA SHREE on October 14, 2013 at 10:10pm

थाम के कांधे को हाथों में कलाई देना
याद आता है वो धड़कन का सुनाई देना...

 

बिन तेरे खुश रहने का इल्जाम था सिर मेरे
काम आया मेरे अश्कों का सफाई देना.....    खुबसूरत  गज़ल के लिए हार्दिक बधाई आपको



 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 14, 2013 at 10:06am

आदरणीय्शकील भाई , 2122/2122/2122/22 ये भी मान्य बह्र है !!http://openbooksonline.com/group/gazal_ki_bateyn/forum/topics/51702... --- बह्र पर आदरणीय वीनस भाई  का लेख है , एक बार देख लें !!!

मेरे खयाल से , ग़ज़ल को पढ़्ते( गुनगुनाते ) समय जहाँ मात्रा स्वाभाविक रूप से गिराना पड़ रहा होगा , उसके अनुसार आपको --

२१२२ ११२२ ११२२ २२ बह्र बताये होंगे वीनस भाई जी ने !!!!

Comment by शकील समर on October 14, 2013 at 8:57am

आदरणीय वंदना जी, शेअर पसंद करने के लिए आभार आपका।

Comment by शकील समर on October 14, 2013 at 8:56am

आदरणीय वीनस सर,  इन सुझावों के लिए आपका आभारी हूं। आपके मार्गदर्शन में निश्चित ही अच्छा करूंगा।

बस एक शंका है— क्या 2122/2122/2122/22 मान्य बह्र नहीं है?
सादर।

Comment by vandana on October 14, 2013 at 7:00am

बिन तेरे खुश रहने का इल्जाम था सिर मेरे
काम आया मेरे अश्कों का सफाई देना

वाह सर बहुत बढ़िया 

Comment by वीनस केसरी on October 14, 2013 at 1:45am

आप अच्छी ग़ज़ल कह रहे हैं ... ये ग़ज़ल भी पसंद आई

कुछ अशआर में वाक्यांश को और सुधारने की गुंजाईश दिख रही है, कहन और अच्छी हो जायेगी 

काफिया के लिए जो इंगित किया गया था उसके अनुरूप बदलाव आवश्यक था जो कि आपने कर लिया है

हाँ जरूरी बात ये है कि आपने जो मात्रा क्रम लिखा है वो गलत है ,,, आपकी ग़ज़ल का सही मात्रा क्रम ये है -
२१२२ ११२२ ११२२ २२
अब इसके अनुसार तक्तीअ करके देखिये ,,, एक मिसरा बेबहर हो रहा है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
20 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service