कह मुकरियाँ
एक प्रयास किया है मुकरियाँ लिखने का दोस्तों आशा करता हूँ मार्गदर्शन मिलेगा
जब आती है नए ख्वाब दिखाती है
फिर अपनी बात से ही मुकर जाती है
उसको होती नहीं फिर हमारी दरकार
क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र सरकार
जब आती है कली कली खिल जाती है
भंवरों के गुन्जन को गती मिल जाती है
उसके आने से मिल जाए दिल को करार
क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र बहार
उसके बिना सब फीका सा लगता है
छप्पन भोग भी नीका न लगता है
उसकी कमी को पूरा करेगा कौन
क्या मित्र सजनी ???ना मित्र लोन (नमक)
गर्मियों मैं सुबह जल्दी आ जाती है
सारा दिन वो मेरी जान जलाती है
मुश्किल से जाती है होते ही शाम
क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र घाम (धूप)
उसे चूमे चूसे बिना मजा नहीं आता है
उसके आगे तो सब फीका हो जाता है
बाग़ में जाता हूँ मजा लेने हर शाम
क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र आम
टूट जाती है नींद जब वो आते हैं
कभी मीठे बेन औ कभी डराते है
उनसा नहीं कोई दूजा है अपना
क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र सपना
संदीप पटेल "दीप"
Comment
धन्यवाद आदरेया सीमा जी !
सुन्दर प्रयास किया है संदीप जी जब मैंने लिखी थी मुझसे भी गलतियां हुई थी अब इसके बाद जो लिखोगे धमाल लिखोगे यही तो ओ बी ओ की खासियत है
आदरणीय संदीप जी
उसे चूमे चूसे बिना मजा नहीं आता है
उसके आगे तो सब फीका हो जाता है
बाग़ में जाता हूँ मजा लेने हर शाम
क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र आम
बहुत सुन्दर संदीप जी ....कोशिशें रंग लाती ही हैं ..बाग़ में धमाल
क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र बहार ...nice kah-mukariya
उसे चूमे चूसे बिना मजा नहीं आता है
उसके आगे तो सब फीका हो जाता है
बाग़ में जाता हूँ मजा लेने हर शाम
क्या मित्र सजनी ??? ना मित्र आम
संदीप पटेल "दीप"ji wah..
मित्र संदीप जी, कह-मुकरी की प्रत्येक पंक्ति में १६ मात्राएँ अनिवार्य होने के साथ-साथ कह कर मुकर जाना अति आवश्यक होता है| आपका प्रयास बहुत अच्छा है ....जिसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई ! आपकी सुविधा के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत है ....
जब भी आती ख्वाब दिखाती १६ मात्रा
मुकरे निज से फिर भी भाती १६ मात्रा
जिसके बिना न हिलता पत्ता १६ मात्रा
क्या वह सजनी ? नहिं यह सत्ता ! १६ मात्रा
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