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सूरज कभी सोता नही [लघु कथा ]

नन्हे बबलू ने रोहित से पूछा ,''अंकल क्या सूरज थकता नही है ?वह तो कभी सोता ही नहीं ,''उस नन्हे बच्चे के इस सवाल ने रोहित को लाजवाब कर दिया |एक हारे हुए इंसान को उम्मीद की नवकिरण  दिखा रहा था ,उस पांच साल के नन्हे से बच्चे का सवाल |एक हारा हुआ बिल्डर जिसकी बनाई हुई इमारत हाल ही में तांश के पत्तो सी बिखर गई थी और उसके साथ साथ उसकी आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो  चुकी थी,लेकिन बबलू  का वह वाक्य उसे एक नई राह दिखा रहा था | रोहित ने अपनी कम्पनी के पूरे स्टाफ को फिर से बुलाया ,नयी रूपरेखा तैयार की गई और जुट गया एक बार फिर से उस प्रोजेक्ट को नए सिरे से बनाने में |इस बार रोहित बड़ी सतर्कता से हर काम अपनी  ही देख रेख में करवा रहा था ,उसे न दिन का होश रहता था न रात का ,किसी पर कोई काम छोड़ता ही नही था| नन्हे बबलू के शब्द उसके कानो में सदा गूंजते रहते थे .उसे सूरज की तरह ही बनना है ,कभी थकना नही है |एक दिन उसकी अनथक मेहनत रंग ले ही आई और उसकी हार जीत में बदल चुकी थी |वह उस बुलंद इमारत के सामने खड़ा उसके पीछे प्रेरणा देते हुए चमकते सूरज को टकटकी बांधे निहार रहा था ,आज उस नन्हे बच्चे के सवाल का जवाब उसके पास है ,''सूरज कभी सोता नही ''|

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Comment by AVINASH S BAGDE on May 22, 2012 at 2:48pm

 आदरणीय रेखा जी !

 बहुत अच्छा सन्देश देती बहुत अच्छी रचना ....

बधाई.

Comment by Yogi Saraswat on May 22, 2012 at 2:29pm

प्रेरणा देती बहुत अच्छी रचना ! आदरणीय रेखा जी सादर नमस्कार ! एक खोबसूरत रचना देने के लिए बधाई

Comment by AjAy Kumar Bohat on May 22, 2012 at 11:56am
Bahut si sundar kahani,
badhai Rekha ji....
Comment by Rekha Joshi on May 22, 2012 at 11:06am

बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी ,ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 9:40am

रेखा जोशी जी एक बहुत अच्छा सन्देश दे रही है आपकी कहानी सच में कई बार बच्चों के मन में जो जिज्ञासा होती है उसमे बहुत तर्कसंगत बात निकल कर आती है इस प्यारी कहानी के लिए बधाई 

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