For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विश्वासघात [कहानी ]

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में एक छोटा सा गाँव सुन्नी  ,हिमालय की गोद में प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर इस गाँव के भोले भाले लोग ,एक दूसरे के साथ मिलजुल कर प्यार से रहते थे | इसी गाँव की दो सहेलियाँ प्रीतो और मीता,बचपन से ले कर जवानी तक का साथ ,लेकिन आज प्रीतो गौने के बाद ,पहली बार अपने ससुराल दिल्ली जा रही थी |मीतो दूर खड़ी अपनी जान से भी प्यारी सहेली को कार में बैठते  हुए देख़ रही थी ,उसके आंसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे और यही हाल प्रीतो का भी था ,उसकी  नम आँखें अपनी सहेली मीता को ढूंढ़ रही थी ,लेकिन मीता उससे आँखे चुरा रही थी ,वह अपनी सखी को बिछुड़ते हुए नही देख़ पा रही थी |प्रीतो के पीछे मुड़ते ही ,दोनों की आँखे चार हुई और भीगी आँखों से मीता ने प्रीतो को विदा किया ,प्रीतो बहुत दूर मीता को छोड़ कर चली गई |दिन ,महीने ,साल गुजर गए ,मीता का ब्याह वही उसी गाँव के एक नौजवान से हो गया ,मीता की जिंदगी खुशियों से भर गई जब उसे एक नन्हे मेहमान के आने का पता चला | उसकी खुशिया दुगनी हो गई जब उसे पता चला कि प्रीतो आ रही है |मीता ने जल्दी से अपने घर का काम खत्म किया और चल पड़ी प्रीतो से मिलने ,लेकिन यह क्या ,प्रीतो के मुरझाये हुए चेहरे को देखते ही मीता समझ गई कि प्रीतो अपने ससुराल में खुश नही है |मीता प्रीतो का हाथ पकड़ उसे खींच कर  बाहर खुली वादियों में ले आई |दोनों आपस में गले मिल कर जोर जोर से रोते हुए अपने दिल के दुखड़े एक दूसरे के साथ बांटने लगी ,प्रीतो की बात सुन कर मीता अवाक खड़ी उस का मुंह देखने लगी ,ईश्वर ने प्रीतो के साथ यह कैसा अन्याय कर दिया ,क्या वह कभी भी माँ नही बन पाए गी ?उसके ससुराल वालों ने हमेशा के लिए उसे मायके भेज दिया है ,दोनों बाहर आंगन में आकर चारपाई पर बैठ गई ,सदा चहकने वाली दोनों सहेलियों के बीच आज एक लम्बी चुप्पी ने जगह ले ली ,जैसे कहने सुनने को अब कुछ भी नही रहा हो ,तभी मीता ने प्रीतो का हाथ अपने हाथ में लेते उस लम्बी चुप्पी तोड़ते हुए कहा ,''प्रीतो तुम माँ बनो गी ,मेरी कोख का बच्चा आज से तेरा हुआ ,अपने ससुराल में अभी कहलवा भेज कि तुम जल्दी ही उनको वारिस देने वाली हो ,बस मैने फैसला ले लिया ,जैसे ही बच्चा पैदा होगा तुम उसे लेकर दिल्ली चले जाना ,मेरी किस्मत में होगा तो मै फिर से माँ बन जाऊं गी ,तुम्हे मेरी कसम तुम अब कुछ नही बोलो गी ''|प्रीतो अपनी सखी की तरफ एकटक देखती रह गई ,इतना बड़ा त्याग ,''नही नही मीता ,मै ऐसा नही कर सकती ''.रुंधे गले से प्रीतो  ने जवाब दिया ,लेकिन मीता ने उसकी एक नही सुनी और उसे अपनी कसम दे कर मना लिया |दिन गुजरने लगे ,माँ बनने की आस ने एक बार फिर से प्रीतो के मुरझाये चेहरे की चमक वापिस ला दी |आखिर वह दिन आ ही गया और मीता ने एक सुंदर से राजकुमार को जन्म दिया ,प्रीतो के पाँव जमीन पर टिक ही नही रहे थे ,बच्चे को अपनी गोद में ले कर वह अपने ससुराल वापिस जाए गी ,उसकी सास ,ससुर ,देवर ,पति सब कितने खुश होंगे ,इन्ही सपनो में खोयी वह मीता के पास पहुँच गई ,जैसे ही वह वहां पहुंची ,मीता की आँखों में आंसू आ गए ,दबी आवाज़ में उसने अपने नन्हे से राजकुमार को निहारते हुए उसे प्रीतो को सौपने से इनकार कर दिया |प्रीतो के सीने पर मानो किसी ने वज्रपात कर दिया हो ,आसमान से किसी ने जमीन पर झटक कर गिरा दिया हो ,अपने सीने में उफनते जज़्बात लिए वह वहां से  चुपचाप चली गई ,वापिस अपने ससुराल |उसका वहां क्या हुआ किसी को कुछ नही मालूम .हाँ मीता के राजकुमार की आँखों की ज्योति  किसी गलत दवा डालने के कारण हमेशा के लिए बुझ गई |यह प्रीतो के दिल से निकली आह थी ,याँ मीता दुवारा किया गया विश्वासघात |

Views: 1371

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rekha Joshi on June 5, 2012 at 11:28am

सीमा  जी अपने सही कहा ऐसी घटनाओं पर विशवास नही होता लेकिन मैने जो सत्य था वोही लिखा आप उसे  कहानी से जोड़े यां न जोड़े यह तो पढने  वाले पर निर्भर करता है ,हो सकता है वह दुर्भाग्यवश ही हो गया हो ,कमेन्ट देने पर आपका आभार |

Comment by Rekha Joshi on June 5, 2012 at 10:33am

आदरणीय राज जी ,सादर नमस्ते ,जैसा कि मेने पहले भी लिखा था यह एक सच्ची कहानी है ,हां प्रीतो  का क्या हुआ यह तो पता नही चल पाया और मीता के  साथ जो अनहोनी हुयी वह तो सबको मालूम ही है आपका आभार |

Comment by राज लाली बटाला on June 5, 2012 at 2:29am

रेखा जी ...
आपने शुरुआत   बहुत  बखूबी  की ...पर  अंत में जाकर  जो  हुआ  उसे   पड़ के ऐसा लगा जैसे यह कहीं से अधूरी हो .....!यह मेरे खुद के विचार हो सकते हैं ...माफ़ी चाहूँगा ! अगर बुरा लगे तो !! Regards

Comment by Rekha Joshi on June 2, 2012 at 8:19pm

अशोक जी ,सादर नमस्ते ,यह कहानी पहाड़ों पर बसे एक छोटे से गाँव की है जो शहरों की चकाचोंध से बहुत दूर है और नई नई  तकनीकों से अनजान है ,यहाँ बात विशवास की है ,आपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद |आभार |

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 2, 2012 at 7:23am

रेखा जी
       सादर, बहुत भावपूर्ण कहानी है किन्तु पूर्ण भावनात्मक वार्तालाप क्योंकि यह पूरी तरह अधूरा निर्णय था जिस पर यकीन जैसा कुछ भी नहीं था. अब बात पहाड़ों के गावों की है तो कुछ नहीं कहूंगा वरना तो मित्रता के नाते यदि सेरोगेसी का प्रस्ताव दिया जाता तो वह अधिक विचारशील उदाहरण प्रस्तुत करता. उज्जैन, (मध्य प्रदेश)  में मंजू नामक महिला ने मित्रता की खातिर इसी प्रकार का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया है.

Comment by Rekha Joshi on June 1, 2012 at 8:24pm

संदीप जी ,आपका शुक्रिया ,आभार ,thanks a lot

Comment by Rekha Joshi on June 1, 2012 at 8:22pm

प्रभाकर जी ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,आप ऐसे ही मेरा उत्साह बढाते रहिये |आभार |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 3:13pm

bahut umda................badhai sweekar karen aadarneeyaa rekhaa ji


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 31, 2012 at 11:53am

सुन्दर कहानी के लिए बधाई स्वीकारें रेखा जोशी जी.

Comment by Rekha Joshi on May 31, 2012 at 10:15am

उमाशंकर जी ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद ,आगे भी ऐसे ही उत्साह बढाते रहें |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
17 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service