For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मानव न बन सका मनुज

यह कविता मेरे पापा की लिखी हुई है और मै इसे उनकी सहमती से पोस्ट कर रही हूँ |

मै ही तो एक नही हूं ऐसा,
मुझ से पहले भी लोग बड़े थे :
जिन को तो था संसार बदलना ,
अंधेरों में जो लोग खड़े थे :
उन लोगों में मेरी क्या गिनती ,
मुझ से तो वे सब बहुत बड़े थे :
खा कर भी हत्यारे की गोली ,
गांधी जी कितने मौन पड़े थे :
और अहिंसा हिंसा ने खाई ,
था नफरत ने ही प्यार मिटाया :
प्यार दिया इस जग को जिसने ही ,
क्रास पर गया था वह लटकाया :
पर मानव न बन सका मनुज अभी ,
पशुता उसकी उसके साथ रही |

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 4, 2012 at 10:39pm

क्या बात है रेखा जी.........
आपके पिताजी ने  कमाल की  कविता रची
ख़ूब ख़ूब अभिनन्दन !

ख़ासकर इन पंक्तियों में तो कलेजा निकाल कर रख दिया

प्यार दिया इस जग को जिसने ही ,
क्रास पर गया था वह लटकाया :
पर मानव न बन सका मनुज अभी ,
पशुता उसकी उसके साथ रही |


जय हो !

Comment by Rekha Joshi on June 4, 2012 at 9:22pm

AVINASH JI,sadar namaste ,aapka bahut bahut dhnyvaad meri aur mere papa ki trf se ,

Comment by AVINASH S BAGDE on June 4, 2012 at 7:38pm

पर मानव न बन सका मनुज अभी ,

पशुता उसकी उसके साथ रही |...papa ne sunder bhao ko piroya hai is rachana me...wah! rekha ji....
Comment by Rekha Joshi on June 4, 2012 at 6:53pm

लक्ष्मण जी ,मेरे पापा का नाम प्रो महेंद्र जोशी है ,मरी और मेरे पापा की तरफ से आप का धन्यवाद |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 4, 2012 at 6:32pm

apke pap ka nam kya hai, krapya avagat karave aur unhe thanks pay kare 

Comment by Rekha Joshi on June 4, 2012 at 6:12pm

प्रदीप जी ,योगी जी और राजेश जी ,मेरे पापा रिटायर्ड प्रोफसर है और बहुत ही अच्छे लेखक भी है ,उनकी और मेरी तरफ से आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Rekha Joshi on June 4, 2012 at 6:07pm

उमाशंकर जी ,चंदन जी ,प्रभाकर जी ,मेरी और मेरे पापा की तरफ से आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद |

Comment by UMASHANKER MISHRA on June 4, 2012 at 5:51pm

बढ़िया प्रस्तुति

पर मानव न बन सका मनुज अभी ,
पशुता उसकी उसके साथ रही | सार युक्त |
Comment by chandan rai on June 4, 2012 at 4:51pm
रेखा जी ,

प्यार दिया इस जग को जिसने ही ,
क्रास पर गया था वह लटकाया :
पर मानव न बन सका मनुज अभी ,
पशुता उसकी उसके साथ रही |
बहुत ही बेहतरीन विचारों से भरी पंक्तियाँ

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 4, 2012 at 4:34pm

अति सुन्दर अभिव्यक्ति, बधाई स्वीकार करें रेखा जोशी जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service