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हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य )

हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य  )

(1) 
सिर मुंडाया 
दुकान से निकले 
ओले बरसे 
(२)
पहली बार 
वो छतरी में आई 
बारिश थमी 
(३)
इम्तहान था 
लिखना शुरू किया 
कलम टूटी 
(४)
भागते हुए 
प्लेटफार्म पंहुचा 
ट्रेन निकली 
(५)
श्रृंगार हेतु 
ज्यों घूंघट पलटा
शीशा चटका 
(६)
मिन्नतों बाद 
बाईक पे लिफ्ट दी 
टायर फुस्स
(७)
गिरा आँचल 
लपक के उठाया 
थप्पड़ पड़ा 
(८)
जल्दी पंहुची 
पहला साक्षात्कार 
जबान सूखी 
(९)
पहली बार 
बाग़ में आम आये 
बन्दर घुसे 
(१०)
पहली बार 
चुनाव मैदान में 
जमानत टें
****** 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 22, 2012 at 2:45pm

प्रिय  महिमा जी हार्दिक आभार  बस मस्त रहिये 

Comment by Yogi Saraswat on May 22, 2012 at 2:40pm
मिन्नतों बाद 
बाईक पे लिफ्ट दी 
टायर फुस्स
ये तो बस एक बानगी भर है आपकी बेहतरीन क्षणिकाओं की !
Comment by AjAy Kumar Bohat on May 22, 2012 at 11:54am

Sabhi ek se badhkar ek...

badhai Rajesh ji... 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 21, 2012 at 11:28pm

 राजेश कुमारी जी विभिन्न रूप, रंग और गंघ समेटे  हाइकु के फूलों का ये गुलदस्ता बहुत मनभावन लगा।  हार्दिक बधाई स्वीकार करें !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 21, 2012 at 11:03pm

पहली बार 

वो छतरी में आई 
बारिश थमी 
गिरा आँचल 
लपक के उठाया 
थप्पड़ पड़ा 
आदरणीया राजेश कुमारी जी सुन्दर हाइकु ...बिभिन्न रंग  छलक पड़े  ..आभार . -भ्रमर ५ 

Comment by Rekha Joshi on May 21, 2012 at 9:52pm

Rajesh ji ,bahut mazedaar rha yh haayku ,badhai.

Comment by MAHIMA SHREE on May 21, 2012 at 9:21pm

आदरणीया राजेश दी .. मस्त मस्त हायकू है  आपके ... बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 21, 2012 at 3:44pm
सरिता जी हार्दिक आभार इतना सम्मान देने के लिए बंस हँसना हँसाना ही है जिदगी की जादूगरी 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 21, 2012 at 3:42pm

प्राची जी एग्जाम ख़त्म हो गए हैं ना इस लिए सभी को हंसने की डोज चाहिए .....हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 21, 2012 at 3:41pm

आभार अविनाश जी हँसते हंसाते रहो

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