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हर मजहब के दुःख -दर्द एक सामान होते हैं
फिर क्यूँ पराई पीर से हम अनजान होते हैं

क्यूँ फेंकते पत्थरों को हम उनके घरों पर
जब खुद के भी तो शीशों के मकान होते हैं

उन लोगों की कम सोच का क्या करियेगा
जिनकी वजह से रिश्ते कुछ बेजान होते हैं

बन जाते हैं वो सफ़र में मुसीबतों के सबब
कई दफह जब रास्ते बेहद सुनसान होते हैं

मत छूना कभी जो लावारिस पड़े हैं राह में
मुमकिन हैं छुपे मौत का वो सामान होते हैं

मिलके गले वो घोंप दे खंजर ये क्या पता
हिज़ाब -ए- दोस्ती की आड़ में शैतान होते हैं

बड़े ही खौफनाक होते हैं वो चेहरे खूबसूरत
जिनकी सूरत में छुपे बदसूरत इंसान होते हैं
*****

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2012 at 10:50am

बहुत बहुत आभार अरुण जी 

Comment by Arun Sri on April 6, 2012 at 10:28am

उन लोगों की कम सोच का क्या करियेगा
जिनकी वजह से रिश्ते कुछ बेजान होते हैं

क्या बात है ! सुन्दर !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2012 at 8:29am

वीनस जी आपका तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by वीनस केसरी on April 6, 2012 at 12:46am

फिर क्यूँ पराई पीर से हम अनजान होते हैं

आफरीन ! आफरीन !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2012 at 8:38pm

 संदीप दिवेदी जी आपका हार्दिक आभार अपार प्रसन्नता हुई आपकी प्रतिक्रिया जानकार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2012 at 8:36pm

हार्दिक आभार शलेन्द्र जी आपके नाम के जैसे मृदु प्रतिक्रिया| 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 5, 2012 at 8:02pm

मिलके गले वो घोंप दे खंजर ये क्या पता
हिज़ाब -ए- दोस्ती की आड़ में शैतान होते हैं

समाज की क्रूर सच्चाई बयान कर दी आपने| आपके लिए ढेरों बधाईयां|

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 5, 2012 at 8:00pm

उन लोगों की कम सोच का क्या करियेगा
जिनकी वजह से रिश्ते कुछ बेजान होते हैं

मत छूना कभी जो लावारिस पड़े हैं राह में
मुमकिन हैं छुपे मौत का वो सामान होते हैं      खूबसूरत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें मैम


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2012 at 6:34pm

 सौरभ जी अहो भाग्य आप मेरे ब्लॉग पर पधारे और अपनी बेशकीमती प्रतिक्रिया से मेरी ग़ज़ल को सार्थक बनाया |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 5, 2012 at 6:29pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, आप द्वारा हुए इस गंभीर प्रयास को मेरा सादर नमन.

उन लोगों की कम सोच का क्या करियेगा
जिनकी वजह से रिश्ते कुछ बेजान होते हैं .... . . इन पंक्तियों पर मेरी दिली दाद कुबूल करें.

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