For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीन वर्ण और 

एक मायावी शब्द ,

जिसके कर्णपटल में प्रवेश करते ही 
एक मासूम नन्हा बालक 
जो अपने जीवन का
पहला कदम रख रहा है, 
उत्साहित और रोमांचित हो उठता है 
कैसा अद्दभुत  रिश्ता है इस शब्द का 
मन मस्तिष्क की तंत्रिकाओं  से 
जिसके तिलस्मी प्रभाव से 
चार सीढियां चढ़ता हुआ 
इंसान आठ सीढियां चढ़ जाता है |
और एक दिन अम्बर छूने में 
कामयाब हो जाता है| 
सभी का वांछित ,अपेक्षित 
जिसकी उत्कंठा जीवन पर्यन्त बनी रहती है 
शब्द कितना सरल ,कितना अनमोल है 
फिर क्यूँ इसे कहने में कंजूसी करना!
इसका चमत्कार देखना है कभी तो 
किसी हतोत्साहित ,टूटते हुए 
इंसान के काँधे पर हाथ रख कर 
एक बार तो कह कर देखिये 
            शाबाश !!!   

Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2012 at 12:05pm

बहुत बहुत शुक्रिया मीनू जी 

Comment by minu jha on April 5, 2012 at 12:02pm

तीन वर्ण और एक मायावी शब्द,

सच कहा आपने ,जीवन की संतुष्टि सिमटी है

इस शब्द में,बहुत सुंदर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2012 at 4:36pm

bahut bahut aabhari hoon Pradeep kumar ji

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 4, 2012 at 2:33pm

SHABASH, AADARNIYA MAHODAYA. JI, SADAR ABHIVADAN. RACHNA PADHTE PADHTE MAIN 3 SHABD KON HONGE SOCHTA RAHA. , ANT MAIN PATA CHALA SHABAS. BADHAI, MAIN AESA HI KARTA HOON. BEBAK.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2012 at 12:07pm

बहुत आभारी   हूँ  मनोज जी आपकी टिपण्णी से ख़ुशी मिली 

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 4, 2012 at 11:37am

आदरणीय राजेश कुमारी जी..अभी अभी एक टिप्पडी का पीछा करते हुए आया तो एक सांस में समूची कविता ही पढ़ गया...अब मैं क्या कहूँ..शीर्षक पढ़ कर कुछ जादू टोने जैसा लगा लेकिन पढ़ने के बाद वस्तुस्थिति का पता चल पाया|क्षमा चाहूँगा मैं तीन वर्ण की बजाय चार वर्णों का प्रयोग करना चाहूँगा..लाजवाब|


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2012 at 11:33am

सीमा जी बहुत आत्मतुष्टि होती है लिखने वाले को जब लगता है की कोई उसकी रचना के मूल तथ्य तक पहुच पाया लिखना सार्थक हो जाता है हार्दिक आभार .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2012 at 11:30am

हर्दय को अपार प्रसन्नता हुई प्राची जी प्रतिक्रिया पढ़कर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2012 at 11:05am

  बहुत बहुत आभारी हूँ राकेश त्रिपाठी जी

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on April 4, 2012 at 10:55am

वाह! आदरणीया राजेश कुमारीजी, सादर नमस्कार, बहुत अच्छी रचना.

//किसी हतोत्साहित ,टूटते हुए 
इंसान के काँधे पर हाथ रख कर 
एक बार तो कह कर देखिये 
            शाबाश !!!  //

अद्बुत वचन, उम्दा प्रस्तुति, सादर बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service