For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''मौसम के रंग'' (नवगीत)

निशा के आँचल को समेट

खुद को किरणों में लपेट

क्षितिज पार फैली अरुणाई

बहने लगी पवन बौराई 

कोहरे का आवरण हटा    

सूरज ने खोले नयन कोर l

 

नीड़ में दुबके बैठे आकुल

भोर हुई तो चहके खगकुल

खुले झरोखे हवा की सनसन 

आकर तन में भरती सिहरन

है नव प्रभात, संदेश नवल

नव उमंग, मन में हलचल

कमल सरोवर पर अलि-राग

काँव-काँव कहीं करते काग

हर्ष से तरु-पल्लव विभोर l  

 

संक्रांति मनाते हैं हिलमिल       

खाते हैं आज सभी गुड़-तिल

सबके हैं हृदय मगन-मगन  

खुशबू से महके घर-आँगन

भरता धरती का नवल कलस

अमृत लगता गन्ने का रस  

तुहिन कणों से भरे अधर 

आहट बसंत की चौखट पर

कृषकों के मन लेते हिलोर l

 

है नीलगगन पर रंग छाया

मौसम पतंग का फिर आया     

उड़तीं फरफर रुमालों सी

मंझा लिपटी है बालों सी 

झूम-झूम, लहरा, इठला कर

जीत-हार की होड़ लगा कर

ऊपर जाकर उड़तीं नभ पर

गिरती रहती हैं कट-कट कर    

छत-मुंडेर हर जगह है शोर l

 

-शन्नो अग्रवाल 

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on February 20, 2012 at 7:14pm

waah Shannu di kitni khoobsurat rachna hai wah man prfullit ho gya 

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 7:41pm

ब्रिजभूषण जी, सराहना के लिये आपका हार्दिक धन्यबाद. 

Comment by Brij bhushan choubey on January 24, 2012 at 4:51pm

bahut hi sundar nav git ,

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 4:43pm

सौरभ जी, रचना पर आपकी सराहनीय टिप्पणी पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया. आपका हार्दिक धन्यबाद. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 24, 2012 at 8:46am

आपने प्रकृति की मनोहारी छटा का सुन्दर वर्णन किया है, शन्नोजी.  विलम्ब से आपकी रचना पर आ रहा हूँ, इस हेतु क्षमा. 

संक्रान्ति-काल के अद्भुत वर्णन हेतु आपको हार्दिक बधाई.

Comment by Shanno Aggarwal on January 24, 2012 at 12:11am

आलोक जी, आपने रचना की सराहना की इसे जानकर मन बहुत मुदित है. आपका हार्दिक धन्यबाद. 

Comment by Yogendra B. Singh Alok Sitapuri on January 23, 2012 at 4:13pm

वासंती अभिव्यक्ति का  सुन्दर किया प्रयास|

धन्यवाद दे आपको,  आलोकित मधुमास..

Comment by Shanno Aggarwal on January 23, 2012 at 2:34pm

धन्यबाद किरन..और आपको भी ढेरों शुभकामनायें. 

Comment by Kiran Arya on January 23, 2012 at 11:01am

संक्रांति मनाते हैं हिलमिल       

खाते हैं आज सभी गुड़-तिल

सबके हैं हृदय मगन-मगन  

खुशबू से महके घर-आँगन.........वाह दी सुंदर भाव, आपको और सभी मित्रो को मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाये....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service