For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएँ -मिलावट .....

क्षणिकाएँ -मिलावट


मर गया
एक शख़्स 
खा कर
मिलावटी
जीवन रक्षक दवा
----------------------
कैसे करेंगे
देश की रक्षा
देश के नौनिहाल
पी कर दूध
मिलावटी
------------------------
ख़ूब कमाया धन
जन जन से
बेचकर सामान
मिलावटी
पर
पाप कमाया
असली
------------------------
बनावटी रिश्ते
मिलावटी प्यार
कैसे दें
असली सुगन्ध
फूल काग़ज़ के
------------------------
सच्ची  मौत
झूठा क्रन्दन
थी  मिलावट
रिश्तों में

सुशील सरना /
मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 486

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 9, 2022 at 1:13pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by Sushil Sarna on April 8, 2022 at 10:07pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार सर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 8, 2022 at 5:04pm
आदरणीय सुशील सरना सर, मिलावट को केंद्र में रखकर जीवन के विभिन्न आयामों को अभिव्यक्त करती सार्थक क्षणिकाओं के लिए हार्दिक बधाई. सादर.
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 8, 2022 at 11:36am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छी समसामयिक क्षणिकाएँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on April 7, 2022 at 12:28pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा और समीक्षा का दिल से आभारी है । अभी दुरुस्त करता हूँ सर । दिल से शुक्रिया सर ।
Comment by Sushil Sarna on April 7, 2022 at 12:26pm
आदरणीय मयंक जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।
Comment by Samar kabeer on April 4, 2022 at 12:07pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी क्षणिकाएँ हुई हैं, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कुछ टंकण त्रुटियाँ देखें:-

शख्स--'शख़्स'

देश नौनिहाल--'देश के नौनिहाल'

खूब--'ख़ूब'

कागज--'काग़ज़'

Comment by Mayank Kumar Dwivedi on April 3, 2022 at 9:11am

अनुपम सृजन आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service