For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आवाज .....

सम्मान दिया
हर आवाज को
दबा कर
अपनी आवाज
स्त्री ने
तूफान आ गया
आवाज उठाई
उसने जो
अपनी 
आवाज के लिए
--------------------
वाचाल हो गया
मौन
नारी का
तोड़ कर
हर वर्जना
पुरातन की

सुशील सरना / 4-4-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 459

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 12, 2022 at 6:11pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, आपकी शिकायत वाजिब है सर । इसका मुझे खेद है । भविष्य में आपकी नाराज़गी दूर करने का पूरा प्रयास करूँगा ।कृपया अपनी कृपा दृष्टि बनाये रखें । सादर नमन सर
Comment by Samar kabeer on April 10, 2022 at 2:11pm

जनाब सुशील सरना जी, देखने में आया है कि आप सिर्फ़ अपनी रचनाएँ पोस्ट करने की हद्द तक ही ओबीओ पर सक्रिय रहते हैं, मंच की दूसरी रचनाओं को न आप पढ़ते हैं न उन पर कोई टिप्पणी देते हैं,ये उचित नहीं है, कृपया इस तरफ़ ध्यान दें ।

Comment by Sushil Sarna on April 10, 2022 at 1:28pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 10, 2022 at 6:41am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर सारगर्भित रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on April 8, 2022 at 10:06pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 8, 2022 at 2:11am

आदरणीय सुशील सरना सर, नारी जीवन की विडंबना को अभिव्यक्त करती सार्थक प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। सादर।

Comment by Sushil Sarna on April 7, 2022 at 12:24pm
आदरणीय समर कबीर जी, आदाब, सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर
Comment by Sushil Sarna on April 7, 2022 at 12:23pm
आदरणीया डा0 प्राची सिंह जी सादर प्रणाम -सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।
Comment by Samar kabeer on April 6, 2022 at 2:23pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार  करेंI 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 6, 2022 at 1:17pm

नारी के मौन का वर्जनाएं तोड़ वाचाल हो उठाना सार्थक यदि विवेक जन्य आवाज़ है तो अन्यथा चीखम चिल्ली के सिवा कुछ भी नहीं ... सिर्फ आवाज़ ही नहीं , आवाज़ की दिशा में कर्मठता भी आवश्यक है तभी नारी अपनी दशा को परिवर्तित कर सकती है अन्यथा ये आवाजें हास्यास्पद अपमानजनक हुआँ हुआँ ही रह जाती हैं 

नारी का मौन वाचालता से बड़ी आवाज़ है ये समझना चाहिए 

सुंदर अभिव्यक्ति हुई है 
बधाई सुशील सरना भाई जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service