For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जन्माष्टमी के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

वाणी ने आकाश से, किया यही उद् घोष
सँभलो पापी कंस अब,घट से बाहर दोष।१।
*
मथुरा में  पर  कंस  का, घटा न अत्याचार
विवश हुए अवतार को, जग के पालनहार।२।
*
बहन देवकी, तात को, मिला कंस से कष्ट
हरे सकल दुख ईश  ने, बन कर पुत्र अष्ट।३।
*
लीला अंशों की तजी, लिया पूर्ण अवतार
स्वयं खुल गये  तेज  से, कारागृह के द्वार।४।
*
हुई विवश माँ देवकी, तज ने को मजबूर
छोड़ यशोदा  गेह  में, किया  कंस से दूर।५।
*
गोकुल आकर कृष्ण ने, दिया सभी को हर्ष
जनमानस  से  कंस ने, किन्तु  बढ़ाया कर्ष।६।
*
वत्सासुर सह पूतना, चले अघासुर काल
बकासुर, तृणावर्त भी, वध करने गोपाल।७।
*
शकटासुर या कालिया, धेनुक और प्रलंब
कान्हा ने सब मारकर, तोड़ा हर अवलम्ब।८।
*
किया इन्द्र अभिमान कम, गोवर्धन को धार
इस कारण जग गा  रहा, महिमा अपरम्पार।९।
*
किया कंस को छोड़ जब, कान्हा का शृंगार
भक्ति भाव ने  कर  दिया, कुब्जा का उद्धार।१०।
*
कालयवन से जान कर, स्वयं हुए रणछोड़
मद में डूबा कर  गया, काल, काल से होड़।११।
*
मार कंस को फिर किया, मथुरा का उद्धार
पाया नाना  साथ  ही, दो  माँओं  का प्यार।१२।
*
संशय अर्जुन का हरा, जिस गीता उपदेश
करो कर्म निष्काम सच, मानव को आदेश।१३।
*
नंदक जिनका खड्ग है, नाम धनुष सारंग
गदा धरें  कौमौदकी,  'पांचजञ्य'  के संग।१४।
*
रथ हैं जिनके पास में, जैत्र , गरुढ़ध्वज नाम
दारुक उन  का  सारथी, सदा  रहा निष्काम।१५।
*
चक्र सुदर्शन,  पाशुपत,  कान्हा  के दिव्यास्त्र
महिमा चौदह लोक में, कहते जिनकी शास्त्र।१६।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 4, 2021 at 1:33pm

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 31, 2021 at 6:01pm

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी। बेहतरीन दोहे।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 31, 2021 at 2:31pm

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by Sushil Sarna on August 31, 2021 at 11:46am
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी समयानुसार बहुत सुंदर प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई सर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 31, 2021 at 7:55am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार। 

Comment by Samar kabeer on August 30, 2021 at 6:10pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, अच्छे दोहे लिखे आपने, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. नीलेश भाई ने अच्छा मार्गदर्शन किया है। इससे यह…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। यूँ तो पूरी गजल ही लाजवाब हुई है पर ये दो शेर पर अतिरिक्त बधाई…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी नमस्कार बहुत खूब ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें सभी शैर बहुत अच्छे…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, ग़ज़ल पर अपकी टिप्पणी के लिए आभार पर कुछ विस्तार से मार्ग दर्शन करते तो अच्छा…"
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता 'अजेय' जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका अपने समय दिया कुछ त्रुटियों की…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल का बहुत अच्छा प्रयास है। तीन शेर 4,5, व 6 तो बहुत अच्छे लगे। बधाई…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं में कुछ ग़ल़त नहीं है। हुआ अपने आप में पूर्ण शब्द…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी टिप्पणी के अनुसार काफिया में कोई कमी हे तो स्पष्ट समझायें। कुछ उदाहरण…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"तौर-ए-इमदाद ये भला तो नहीं  शहर भर में अब इतना गा तो नहीं     मर्ज़ क्या है समझ…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का मतला भरपूर हुआ है। अन्य शेर आयोजन के बाद संवारे जाने की मांग कर रहे…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ दयाराम मैठानी जी। आपके द्वारा इंगित मिसरा ऐसे ही बोला जाता है अतः मैं इसे यथावत रख रहा…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. अजय जी"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service