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ये लोग मुझे कुछ भी तो करने नहीं देते....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

221-1221-1221-122

ये लोग मुझे कुछ भी तो करने नहीं देते
मुश्किल है बहुत जीना ये मरने नहीं देते (1)

खोदा था कुआँ सहरा में हमने कभी मिल कर
कुछ लोग घड़े हमको वाँ भरने नहीं देते (2)

इक उम्र गुज़ारी है यहाँ मैंने सफ़र में
अब पाँव भी मंज़िल पे ठहरने नहीं देते (3)

उसने जो कहा है तो वो कर के ही रहेगा
वादे से उसूल उसको मुकरने नहीं देते (4)

छाता है कभी ज़ीस्त में जब ग़म का अँधेरा
डरता हूँ मगर दोस्त सिहरने नहीं देते (5)

अब याद नहीं है तेरी बातें तेरा शिकवा
माज़ी से मुझे लोग गुज़रने नहीं देते (6)

उड़ता है बहुत ऊँचा वो ख़्वाबों का परिंदा
उम्मीद के पर मुझको कतरने नहीं देते (7)

मिट्टी में मिला देते हैं झंडा मेरा 'सालिक'
परचम कभी चोटी पे फहरने नहीं देते (8)

मौलिक एवं अप्रकाशित
©सालिक गणवीर

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Comment by सालिक गणवीर on August 14, 2021 at 6:00pm

उस्ताद -ए -मुहतरम  Samar kabeer साहिब
आदाब
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए शुक्रगुज़ार हूँ.जवाब देने में हुए विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

Comment by सालिक गणवीर on August 14, 2021 at 5:58pm

आदरणीय Chetan Prakash  जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए शुक्रगुज़ार हूँ.जवाब देने में हुए विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

Comment by सालिक गणवीर on August 14, 2021 at 5:58pm

आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर'  जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए शुक्रगुज़ार हूँ.जवाब देने में हुए विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

Comment by सालिक गणवीर on August 14, 2021 at 5:56pm

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी
सादर अभिवादन
ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और सराहना के लिए शुक्रगुज़ार हूँ.जवाब देने में हुए विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

Comment by Samar kabeer on August 9, 2021 at 6:23pm

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

'ये लोग मुझे कुछ भी तो करने नहीं देते
मुश्किल है बहुत जीना ये मरने नहीं देते'

मतले के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,उचित लगे तो सानी यूँ कर लें:-

'मरना मैं अगर चाहूँ तो मरने नहीं देते'

Comment by Chetan Prakash on August 7, 2021 at 3:25pm

नमन, भाई   सालिक गणवीर  जी! मुझे  तो आपकी यह ग़ज़ल अपेक्षाकृत  बेहतर  प्रतीत हुई  । सुखद सुधार के स्पष्ट  लक्षण हैं । शुभ कामनाएँ, भविष्य हेतु !

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 7, 2021 at 11:23am

जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 7, 2021 at 10:40am

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । सुन्दर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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