For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन का साहिल. . . .

मन का साहिल ......

जाने कब मेरे अन्तस में
भावनाओं का सागर उफान मारने लगा
भावों की वीचियों पर
चाहत की कश्ती
अठखेलियां करने लगी

दिल के किसी कोने में
एक चाहत उभरी
कि मैं हौले से छू लूँ
फिर वही
अधर दलों पर ठहरी
उल्फ़त की गंध
चुपके से

डूब जाऊँ
किसी मदहोश भंवरे की तरह
पुष्प आगोश में
पराग का रसपान करते हुए
आकंठ तक

और मिल जाए
मेरी चाहत की कश्ती को
मेरे मन का साहिल

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 686

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on July 20, 2021 at 2:26pm

 आदरणीय सुशील सरना जी

सादर अभिवादन। आपकी अस्वस्थता के बारे में अभी टिप्पणियाँ पढकर पता चला।खुशी हुई जानकर कि अब सब ठीक है। आपकी रचना हमेशा की तरह  गहन और खूबसूरत एहसासों वाली है। हार्दिक बधाई

Comment by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:15pm
आदरणीय समर कबीर साहब , आदाब - सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सर रिकवरी चल रही है ।कमजोरी बहुत है ।आप की दुआ असर कर गई और खुदा ने हमें थोड़ी सी जीने की मोहलत दे दी ।दिल से शुक्रिया सर ।
Comment by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:11pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है ।कुशलक्षेम के लिए दिल से आभार आदरणीय ।
Comment by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:10pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी कुशलक्षेम पूछने हेतु आपका हार्दिक आभार ।
Comment by Sushil Sarna on July 20, 2021 at 12:09pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार
Comment by Samar kabeer on July 17, 2021 at 3:31pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

अब आपकी तबीअत कैसी है?

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 11, 2021 at 3:43pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, सुंदर, मनोहारी सृजन के लिए बधाई प्रस्तुत करता हूँ। कोरोना से उबर आने के लिए आपको सपरिवार विशेष बधाईयाँ। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 11, 2021 at 3:36pm

आप स्वस्थ हैं यह हमारे लिए हर्ष का विषय है । सादर..

Comment by Sushil Sarna on July 11, 2021 at 1:44pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । करोना से लम्बी लड़ाई के बाद मेरे सृजन को मान देने का दिल से आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 10, 2021 at 8:19pm

आ. भाई सुशील जी, सुन्दर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service