For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते

जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
वो किसी के हुआ नहीं करते

नेमतें पा के लोग क्युं आख़िर
शुक्रे ख़ालिक़ अदा नहीं करते

राहे हक़ पर जो गामज़न हैं बशर
वो किसी का बुरा नहीं करते

दिल मेरा ग़मज़दा नहीं होता
वो जो मुझसे दग़ा नहीं करते

जाने क्या हो गया है अब उनको
मुझसे हँस कर मिला नहीं करते

याद आती नहीं अगर उन की
हम कभी रत-जगा नहीं करते

लाख कोशिश करो मिटाने की
नक़्शे उल्फ़त मिटा नहीं करते

ज़ुल्म से 'नाज़' हक़परस्त कभी
कोई शिकवा गिला नहीं करते

ममता गुप्ता "नाज़"

Views: 859

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mamta gupta on June 27, 2021 at 1:31pm
आदरणीय अमीरुद्दीन "अमीर" जी मैं नेटवर्किंग की समस्या की वजह से आपके किसी कमेंन्ट का रिप्लाई नहीं कर पायी इसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। अभी ब्लॉग का अनुभव मेरे लिए नया है जिसे धीरे धीरे समझने की कोशिश कर रही हूँ।
ग़ज़ल पर आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए शुक्रगुज़ार हूँ।
Comment by Mamta gupta on June 27, 2021 at 1:27pm
आदरणीय chetan prakash जी आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़जाई के लिए शुक्र गुजार हूँ
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 26, 2021 at 3:32pm

मुहतरमा ममता गुप्ता 'नाज़' जी, आदाब, ये ओ बी ओ के मंच की परिपाटी और भारतीय तहज़ीब नहीं है कि आपकी रचना पर आई समस्त टिप्पणीकारों की टिप्पणियों का जवाब न देकर कुछेक की टिप्पणियों का ही जवाब दे दिया जाए और शेष को नज़र-अंदाज़ कर दिया जाए। ये अत्यंत आपत्तिजनक व्यवस्था है। ये सीखने सिखाने का मंच है, सभी सम्मानित टिप्पणीकार / सदस्य आपके शुभाकांक्षी हैं, आपको स्वयं भी अपने लिए आम जीवन में भी यह व्यवस्था/ व्यवहार स्वीकार नहीं होगा। आशा है कि आप इसे अन्यथा नहीं लेंगी। सादर। 

Comment by Mamta gupta on June 26, 2021 at 12:50am
आदरणीय लक्ष्मन धामी 'मुसाफ़िर' जी बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Mamta gupta on June 26, 2021 at 12:46am
आदरणीय समर कबीर सर आपकी उपस्थिति और हौसला अफ़जाई के लिए शुक्रगुज़ार हूँ
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 23, 2021 at 9:35pm

आ. ममताजी, गजल केप्रयास व ओबीओ परिवार में सम्मिलित होने होने के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Samar kabeer on June 23, 2021 at 3:17pm

मुहतरमा ममता गुप्ता 'नाज़' जी आदाब,ओबीओ पटल पर आपका स्वागत है ।

ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते
वो किसी के हुआ नहीं करते'

मतले के ऊला में 'ज़िक्र-ए-ख़ुदा' ऐसे लिखें,और सानी उचित लगे तो यों कहें:-

'वो किसी से वफ़ा नहीं करते'

'नेमतें पा के लोग क्युं आख़िर
शुक्रे ख़ालिक़ अदा नहीं करते'

इस शैर के ऊला में 'क्युं' को "क्यों" कर लें,और सानी उचित लगे तो यों कहें:-

'शुक्र रब का अदा नहीं करते'

'ज़ुल्म से 'नाज़' हक़परस्त कभी
कोई शिकवा गिला नहीं करते'

आपका मक़्ते तार्किकता की दृष्टि से ग़लत है, हक़ परस्त तो सबसे पहले ज़ुल्म के ख़िलाफ़ होते हैं ,इस बिंदु पर ग़ौर करें ।

Comment by Aazi Tamaam on June 22, 2021 at 8:54pm

सादर प्रणाम आ ममता जी

अच्छी ग़ज़ल है

बाकी गुणीजनों की राय का अनुसरण करें और निखर जायेगी

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on June 22, 2021 at 7:08pm

मुहतरमा ममता गुप्ता 'नाज़' जी आदाब, बहतरीन रवानी के साथ अच्छी ग़ज़ल कही है, आपने उर्दू लफ़्ज़ों के इस्तेमाल का अच्छा मुज़ाहिरा किया है मुबारकबाद पेश करता हूँ। चन्द मशविरे पेश करने की जसारत कर रहा हूँ। 

2122 - 1212 - 22

जो भी ज़िक्रे ख़ुदा नहीं करते

वो किसी के हुआ नहीं करते      इस शे'र के मिसरों में रब्त नहीं है, मिसरा ए सानी बदलने की कोशिश करें। 

दूसरे शे'र के ऊला मिसरे में 'क्युं' को 'क्यूँ' कर लें, सानी में 'शुक्रे ख़ालिक़' को 'शुक्र-ए-ख़ालिक़' लिखें।

तीसरे शे'र में 'राहे हक़' को 'राह-ए-हक़' लिखें 

याद आती नहीं अगर उन की

हम कभी रत-जगा नहीं करते    इस शे'र के शिल्प पर नज़र्-ए-सानी फ़रमाएँ।  सादर। 

Comment by Chetan Prakash on June 22, 2021 at 4:20pm

 अच्छी साफ-सुथरी ग़ज़ल है, आदरेया, बधाई  !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
9 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
14 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
16 hours ago
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service