For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शूल सम यूँ खुरदरे ही रह गये जीवन में सच-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२१२२/२१२


आँख से काजल चुराने का न कौशल हम में था
दूर रह कर  याद आने  का न कौशल हम में था।१।
**

नाम पेड़ों पर तो हम भी लिख ही लेते थे मगर

पुस्तकों में खत छिपाने का न कौशल हम में था।२।
**
दोस्ती  सूरज  सितारों  से   तो  अपनी थी गहन 
चाँद को लेकिन रिझाने का न कौशल हम में था।३।
**

पा  गये  विस्तार  तो  हम  सिन्धु  जैसे  हो  गए 
प्यास प्यासों की बुझाने का न कौशल हम में था।४।

**

शूल सम जीवन में हम तो  खुरदरे  ही  रह गये

फूल सा खुद को बनाने का न कौशल हम में था।५।

मौलिक-अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 857

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 24, 2020 at 5:47pm

आ. भाई सालिक गणवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर आपकी उपस्थिति और मनभावन टिप्पणी से मन प्रफुल्लित हुआ। स्नेह के लिए हार्दिक आभार..

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 24, 2020 at 5:43pm

आ. भाई नीलेश शेवगाँवकर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, सराहना व उत्तम सुझाव के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by सालिक गणवीर on September 24, 2020 at 4:59pm

भाई लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी

सादर प्रणाम

एक और पठनीय हिंदी ग़ज़ल के लिए टनों बधाइयाँ स्वीकार करें.

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 24, 2020 at 11:16am

वाह वाह लक्ष्मण जी .. आज तो ग़ज़ब कर दिए आप ..
बहुत ख़ूब.. एक दो साधारण सुझाव ,,
.
दूर रह कर  याद आने  का न कौशल हम में था।१।

नाम पेड़ों पर तो हम भी लिख ही लेते थे मगर
दोस्ती  सूरज- सितारों  से  तो अपनी थी गहन 


पा गये विस्तार  तो  हम  सिन्धु  जैसे हो गए 
प्यास प्यासों की बुझाने का न कौशल हम में था

शूल सम जीवन में हम तो  खुरदरे  ही  रह  गये  
.

कुछ सुझाव हैं जिनसे ग़ज़लियत बढ़ जाएगी..
बहुत बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 24, 2020 at 9:47am

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 24, 2020 at 9:46am

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।

Comment by Chetan Prakash on September 23, 2020 at 9:51pm

साफ सुथरी हिन्दी ग़ज़ल, बधाई ! उद्धरणीय हो सकती थी, मकते के साथ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 23, 2020 at 8:23pm

जनाब लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। सादर।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 23, 2020 at 5:25pm

आ. रचना बहन , सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति व सराहना के लिए धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 23, 2020 at 5:24pm

आ. भाई समर कबीर जी, सादर अभिवादन । आपकी उपस्थिति व स्नेह पाकर गजल मुकम्मल हुई । हार्दिक आभार ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
8 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service