For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत से कह दो न रोके -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२१२२/२१२२/२१२२/२१२

लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला
मौत से कह दो  न  रोके  जिन्दगी का सिलसिला।१।
**
रोक  तेजाबों  घुएँ  की  गन्दगी  का सिलसिला
इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला।२।
**
कोशिशें दस्तक  जो  देंगी  शब्द तोड़ेगे कभी
मौन की गहरी हुई इस तीरगी का सिलसिला।३।
**
हैं बहुत  कानून  अपनी  पोथियों  में  यूँ मगर
रुक न पाया भ्रष्ट होते आदमी का सिलसिला।४।
**
एक जुगनू ने कहा  ये  भर तमस के काल में
डर न तम से मैं रखूँगा रौशनी का सिलसिला।५।

मौलिक / अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 602

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2020 at 8:52pm

आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए धन््वादद।

Comment by रामबली गुप्ता on July 7, 2020 at 6:31pm

बढियाँ ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें भाई लक्ष्मण धामी जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2020 at 9:18am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति और सराहना के लिए आभार ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 7, 2020 at 8:40am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी। बेहतरीन गज़ल।

हैं बहुत  कानून  अपनी  पोथियों  में  यूँ मगर
रुक न पाया भ्रष्ट होते आदमी का सिलसिला।४।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2020 at 2:21am

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति, सराहना व मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 7, 2020 at 2:19am

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । गजल पर उपस्थिति , सराहना व सलाह के लिए आभार । 

Comment by Samar kabeer on July 4, 2020 at 3:10pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, बधाई स्वीकार करें ।

'रोक  तेजाबों  घुएँ  की  गन्दगी  का सिलसिला'

इस मिसरे में 'तेजाबों' शब्द को 

इस तरह लिखें "तेज़ाब-ओ-'

बाक़ी जनाब अमीर जी की बातों का संज्ञान लें ।

पारिवारिक कारणों से कुछ समय ओवीओ पर हाज़िर नहीं हो सकूँगा,सिर्फ़ तरही मुशाइर: में शिर्कत हो सकेगी,आपको कहीं मेरी ज़रूरत महसूस हो तो फ़ोन पर सम्पर्क कर सकते हैं ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on July 3, 2020 at 5:17pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें।

चन्द टंकण त्रुटियां रह गयी हैं :  'रोक  तेजाबों  घुएँ की गन्दगी का सिलसिला'  "तेजाबों  घुएँ"  = तेज़ाब ओ धुएँ

'लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला'       शायरी का सिलसिला.   "शायरी".        = शाइरी 

'मौत से कह दो न रोके जिन्दगी का सिलसिला          जिन्दगी का सिलसिला  "जिन्दगी"        = ज़िन्दगी 

'इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला            ताजगी का सिलसिला'   "ताजगी".      = ताज़गी

'कोशिशें दस्तक जो देंगी शब्द तोड़ेगे कभी'.                       शब्द तोड़ेगे कभी'   "तोड़ेगे"         =  तोड़ेेंगे

'हैं बहुत कानून अपनी पोथियों में यूँ मगर'.                             हैं बहुत कानून'   "कानून".       = क़ानून

अब कुछ तकनीक पर बात करते हैं : 

//लेके आया फिर से बचपन शायरी का सिलसिला

मौत से कह दो न रोके जिन्दगी का सिलसिला।१।// इस शैर के मिसरों में रब्त की कमी है: जो बात आप सानी में  कह रहे हैं, वो (मौत का) अहसास बुढ़ापे में होना फ़ितरी है लेकिन ऊला में आप बचपन पर फोकस्ड हैं। *लेके आया फिर बुढ़ापा शाइरी का सिलसिला * कह के देखें। 

//इन हवाओं में भरो कुछ ताजगी का सिलसिला।२।// हवाओं में ताज़गी कुदरती होती हम सिर्फ उस ताज़गी को बरक़रार रखने व गंदगी को रोकने का प्रयास कर सकते हैं। *इन हवाओं में रहे बस ताज़गी का सिलसिला* कह के देखें। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 3, 2020 at 1:00pm

आ. भाई रवि भसीन जी, सादर अभिवादन ।गजल पर उपस्थिति, स्नेह व सराहना के लिए हार्दिक आभार ।

Comment by रवि भसीन 'शाहिद' on July 3, 2020 at 12:42pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' भाई, इस लाजवाब ग़ज़ल पर आपको दाद और मुबारकबाद पेश करता हूँ!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service