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क्षणिकाएँ --3 --- डा० विजय शंकर

वो सब जो
वन्दनीय है,
पूज्य है ,स्तुत्य है ,
...........त्याज्य है |
वो , जो
निंदनीय है ,
अधर्म है , अपकार है ,
...स्वीकार है , अंगीकार है ||

* * * * * * * * * * * * * * * * *

बेईमान व्यवस्था में
प्रश्न यह नहीं होता
कि कौन ईमानदार है ?
प्रश्न केवल यह होता है
कि किसको बेईमानी का
कितना अधिकार है ॥

* * * * * * * * * * * * * * * * *

संबंधों में
नमक की अहमियत
बनाये रखिये ,
सम्बन्ध ता-उम्र
खुद- ब - खुद मीठे रहेंगें ||

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2014 at 8:57pm
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी आपको क्षणिकायें पसंद आईं , अच्छा लगा , बधाई के लिए धन्यवाद .
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2014 at 8:13pm

बेईमान व्यवस्था में
प्रश्न यह नहीं होता
कि कौन ईमानदार है ?
प्रश्न केवल यह होता है
कि किसको बेईमानी का
कितना अधिकार है ॥ आदरणीय विजय सर ..सभी क्षणिकाएं पसंद आयीं ..अंतिम पंक्तियों में जो सन्देश है वो भी कमाल का है 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2014 at 7:14pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपकी उन्मुक्त विवेचना बहुत उपयुक्त है , प्रशस्ति है , आपकी बधाई के लिए धन्यवाद।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2014 at 6:34pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी , आपको तीनों क्षणिकायें पसंद आईं , बहुत खुशी हुयी।
प्रसंगतः कहूँ the earth is known for its sweetness but it is evaluated for it's salt , the ' salt of the earth ' . दुनियाँ में किसी भी चीज का मूल्यांकन उसके नमक होता है , हर आदमी का मूल्यांकन उसके नमक ( प्रतिभा ) से होता है , यहां तक कि अंग्रेजी शब्द salary की उत्पत्ति भी मूलतः नमक से जुडी हुयी है , जो किसी जमाने में हर व्यक्ति की प्रतिभा के आधार पर निर्धारित होती थी , न कि सब धान ढाई पसेरी।
आपकी बधाई के लिए धन्यवाद, सादर .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 25, 2014 at 5:03pm

तीनो ही क्षणिकाएँ प्रभावशाली हैं बहुत बहुत बधाई आपको 

संबंधों में
नमक की अहमियत
बनाये रखिये ,
सम्बन्ध ता-उम्र
खुद- ब - खुद मीठे रहेंगें ||--बहुत सही कहा नमक की भी अहमियत होती है तभी रिश्ते मधुर रहते हैं .

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2014 at 4:59pm
आदरणीय सविता जी , आपको क्षणिकायें अच्छी लगी, धन्यवाद। .
Comment by savitamishra on September 25, 2014 at 4:47pm

बहुत सुंदर.......आदरणीय डा.विजय भैया सादर नमस्ते 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2014 at 4:13pm
आपकी मुक्त विवेचना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय जीतेन्द्र जी ,
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 25, 2014 at 2:06pm

बेईमान व्यवस्था में
प्रश्न यह नहीं होता
कि कौन ईमानदार है ?
प्रश्न केवल यह होता है
कि किसको बेईमानी का
कितना अधिकार है ॥................बहुत गहन व् कटु सत्य. बधाई आपको आदरणीय डा.विजय जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 25, 2014 at 7:23am

आदरणीय विजय भाई , आत्म मुग्धता से अलग , समाज की कड़वी सच्चाई बयान करती आपकी क्षणिकाओं के लिए आपको हार्दिक बधाई |

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