For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -तरही -2(उनके सोए हुए जज़्बात जगा भी न सकूँ )

(फाइलातुन -फइलातुन -फइलातुन -फइलुन /फेलुन)

आ गया हूँ वहाँ जिस जा से मैं जा भी न सकूँ |
मा सिवा उनके कहीं दिल को लगा भी न सकूँ |

इस तरह बैठे हैं वो फेर के आँखें मुझ से
उनके सोए हुए जज़्बात जगा भी न सकूँ |

मेरी महफ़िल में किसी ग़ैर को लाने वाले
दिल से मजबूर हूँ मैं तुझको जला भी न सकूँ |

फितरते तर्के महब्बत है तेरी यार मगर 
तेरी इस राय को मैं अपना बना भी न सकूँ |

इतना मजबूर भी मुझको न खुदा कर देना
अपने घर बार को इज़्ज़त से चला भी न सकूँ |

अश्क जो हैं मेरी आँखों में दिए दिलबर ने
मैं अगर चाहूं गिराना तो गिरा भी न सकूँ |

वो सितमगर सही तस्दीक़ मगर है दिलबर
उस की फ़ितरत मैं ज़माने को बता भी न सकूँ |

जिस जा -----जिस जगह

( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 604

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 6:14pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
चौथे शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये 'महब्बत तो'
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 25, 2017 at 5:06pm

आदरणीय तस्दीक जी इतना मजबूर भी मुझको न खुदा कर देना
अपने घर बार को इज़्ज़त से चला भी न सकूँ |
अश्क जो हैं मेरी आँखों में दिए दिलबर ने
मैं अगर चाहूं गिराना तो गिरा भी न सकूँ |इन शेरो के लिए बिशेष रूप से बधाई स्वीकर करें सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 25, 2017 at 2:28pm
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 25, 2017 at 2:00pm
जनाब सलीम रज़ा साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 1:35pm
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब, बहुत बेहतरीन प्रयास । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 25, 2017 at 11:05am
वाह.. जनाब तसदि‍क़ साहिब, बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारक़बाद,
इस तरह बैठे हैं वो फेर के आँखें मुझ से
उनके सोए हुए जज़्बात जगा भी न सकूँ |... क्या कहने.
इतना मजबूर भी मुझको न खुदा कर देना
अपने घर बार को इज़्ज़त से चला भी न सकूँ l... दिल को छू गया ..
दोबारा मुबारक़बाद..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service