For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"माया और काया" -- [लघु कथा-10]

"माया और काया" - (लघु कथा)

"वाकई बहुत अच्छा गुजरा यह एक घंटा पार्क में ... पर अब तो बताओ, तुम ने लेगी-जीन्स वगैरह छोड़ कर आज मेरी पसंद की ये साड़ी क्यों पहनी ?"-अपने पति के इस सवाल को अनसुना सा कर मालती उसे काफी दिनों बाद एक टक देख रही थी।

"पीयूष, तुम सचमुच सुंदर हो, सूरत से ....और... सीरत से भी !" अपना सिर उसकी गोदी में रखकर वह बोलती गई-"मेरे बिना मेकअप वाले सादे रूप में जिस सहजता से मुझे निहारते हुये जब तुम मुझसे बातें करते हो न, तो... तो पता नहीं क्यों मुझे अजीब सी सुखद अनुभूति होती है, लेकिन वो खुशी जो वहाँ मिलती है न ,वो कितनी क्षणिक और नकली सी होती है !"

"तुम ये कह क्या रही हो, ये तुम्हारा बदला सा ऐटीट्यूड, सच बताओ बात क्या है ?"

"नहीं, अब मैं कभी नहीं जाऊंगी.. किटी तो क्या किसी भी पार्टी-शार्टी में नहीं जाऊंगी !" मालती की सांसें कुछ तेज हो रही थीं ।"...सब माया है... 'माया' और 'काया' ..बस घूरती निगाहें ..चाहे 'मर्द' हो या 'औरत' ! बस होड़बाज़ी,हँसी-ठिठोली और नज़दीकियां, कभी इस तो कभी उस बहाने"- पीयूष का हाथ थामे मालती ने कहा-" तुम्हारी सादग़ी में ही मेरा सच्चा सुख है, हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं हुआ करती !"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 7, 2017 at 10:25pm
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देकर प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी, आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, आदरणीय सतविंदर कुमार जी, आदरणीय सुशील सरना जी और आदरणीय ओम प्रकाश क्षत्रिय प्रकाश जी। विलंब से उत्तर देने के लिए क्षमा चाहता हूँ।
Comment by Omprakash Kshatriya on October 7, 2015 at 7:21pm

आदरणीय  शेख जी यह लघुकथा वाकई  अच्छी  बनी है . बधाई .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 6, 2015 at 8:10pm

कथ्य उभर कर आया है .

Comment by Sushil Sarna on October 6, 2015 at 6:49pm

प्रेम की आत्मीय अनुभूति को चित्रित करती इस लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय। 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 6, 2015 at 5:56pm
सच में 'सादगी में ही सच्चा सुख है।' बहुत सुंदर आदरणीय
Comment by TEJ VEER SINGH on October 6, 2015 at 5:18pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ादी उस्मानी  जी! बहुत अच्छी  लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service