For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बड़ी क्षणिकायें -1--एक प्रयोग - डा० विजय शंकर

इतना तो
सब जानते हैं कि
एक रेखा को बिना काटे
छोटा करने का आसान तरीका यह है
कि उसके पास उससे बड़ी एक रेखा खींच दें ॥
आप बैठे बैठे बड़े बने रहे इसका आसान
तरीका यह है कि आप अपने पास
हमेशा अपने से छोटे लोग रखें ,
गलती से भी किसी बड़े
के सामने न आयें ॥
* * * * * * * * * * *
जीवन तो चलता है ,
करुणा , प्रेम ,दया से ,
पर हमनें उन्हें बनाया है ,
पासंगे बट्खरे जीवन के ,
सब नाप-तौल के चलाना है,
कहाँ कितनी दया दिखानी है,
कहाँ कितना-कैसा प्रेम दर्शाना है ,
मजबूरी हो तो करुणा भी बरसाना है ,
सब मूलयवान हैं सबका मूल्य चुकाना है ,
करुणा ,प्रेम,दया , दे दो, जिसका जो बनता है ,
संतुलन बना के रखो , रेट देख लो जो बनता है ॥

* * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * *
कोई दौड़ रहा है दो रोटियाँ पचाने के लिए
कोई दौड़ रहा है दो रोटी पाने के लिए
रोटी अपनी कीमत खूब जानती है ,
मुफ्त में तो नहीं ही मिलती है ,
मुफ्त में मिल भी जाये
तो पचाने के लिए
मेहनत मांगती है ,
उसी के रूप में
कीमत मांगती है ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 702

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on September 29, 2014 at 2:52pm

बेहतरीन क्षणिकाएँ
एक से बढ़कर एक
आदरणीय, हार्दिक बधाई!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 29, 2014 at 11:19am

आदरणीय विजय सर ..आपका यह प्रयोग अच्छा लगा . चासनी में डुबोकर इशारों इशारों में बड़ी बात कह दी ..कोई दौड़ रहा है दो रोटियाँ पचाने के लिए
कोई दौड़ रहा है दो रोटी पाने के लिए
रोटी अपनी कीमत खूब जानती है ,
मुफ्त में तो नहीं ही मिलती है ,
मुफ्त में मिल भी जाये
तो पचाने के लिए
मेहनत मांगती है ..ये पंक्तिया मुझे बेहद पसंद आयीं ..रपके इस प्रयोग पर आपको हार्दिक बधाई सदर 

Comment by khursheed khairadi on September 29, 2014 at 8:23am

आदरणीय विजयशंकर जी ,बहुत अच्छा प्रयोग साथ सत्य की सशक्त अभिव्यक्ति ,आपका हृदयतल से अभिनन्दन |सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 28, 2014 at 11:37pm
प्रिय जीतेन्द्र जी , आपको प्रयोग अच्छा लगा और रचना में सत्यता नजर आयी, दोनों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 28, 2014 at 11:12pm

सादर नमन सर , कमाल की रचना प्रस्तुत की आपने. हर एक बात चीख चीख कर सच बयां करती, बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डा. विजय जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 28, 2014 at 9:36pm

प्रयोग को पसंद करने एवं क्षणिकाओं की प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  राजेश कुमारी जी  . 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 28, 2014 at 9:33pm
बचपन में पढ़ा था , बिना उद्योग न कुछ होता है , न मिलता है ( विरासत छोड़ के ) शायद कुछ गहरा असर कर गया है।
आपकी प्रशंसा के लिए अनेकानेक धन्यवाद आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 28, 2014 at 7:02pm

आपका ये प्रयोग काबिले तारीफ है ..सब क्षणिकाएँ बहुत कुछ कहती हैं ..एक से बढ़कर एक ..हार्दिक बधाई आपको आ० डॉ. विजय शंकर जी  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 28, 2014 at 12:46pm

विजय सर !

बेहतरीन  i  रोटी मेहनत मांगती है i खाने के लिय नहीं तो पचाने के लिये i  वाह i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
11 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service