For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दबी हर बात जिंदा क्यूँ करें हम (ग़ज़ल)

बह्र -मुफाईलुन मुफाईलुन फ़ऊलुन

तुम्हारा राज़ इफ़शा क्यूँ करें हम|
दबी हर बात जिन्दा क्यूँ करें हम||

न हो जो भाग्य को यारों गवारा,
फिर उसकी ही तमन्ना क्यूँ करें हम||

जगाती दर्द हो जो बात दिल में,
उसी का रोज चर्चा क्यूँ करें हम||

लगा दे आग जो सारे जहाँ में ,
कोई भी ऐसी रचना क्यूँ करें हम||

जिसे करके रहे अफ़सोस मन में,
कोई भी काम ऐसा क्यूँ करें हम||

बहन माँ बेटियाँ तुहफ़ा ख़ुदा का,
उन्ही पे कोई हिंसा क्यूँ करें हम||

बमुश्किल चार दिन की ज़िंदगी में,
महब्बत छोड़ झगड़ा क्यूँ करें हम||

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 860

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 19, 2017 at 11:45am
जनाब तस्दीक़ साहिब सही शब्द "महब्बत"ही है, लुग़ात देख लें ।
Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 19, 2017 at 9:53am

वाह , शानदार अशआर, आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 19, 2017 at 9:40am
जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब ,उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। आखरी शेर में महब्बत को मुहब्बत कर लें
Comment by Mohammed Arif on September 19, 2017 at 9:15am
आदरणीय सुरेंद्रनाथक्षजी आदाब, बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र लाजवाब । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on September 19, 2017 at 4:27am
आद0 अफरोज जी आपका शुक्रिया
Comment by नाथ सोनांचली on September 18, 2017 at 5:29pm
आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और दाद का शुक्रिया, बहुत बहुत आभार।
Comment by Afroz 'sahr' on September 18, 2017 at 4:16pm
आदरणीय समर साहब ""तुहफ़ा"" स्वीकार्य सादर,,,,,
Comment by Samar kabeer on September 18, 2017 at 3:31pm
सही शब्द 'तोहफ़ा' नहीं "तुहफ़ा"वज़्न 22
Comment by Samar kabeer on September 18, 2017 at 3:01pm
जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by नाथ सोनांचली on September 18, 2017 at 1:06pm
आद0 सलीम भाई जी सादर अभिवादन, ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्धन का बहुत बहुत आभार।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
21 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service