For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संतुलन - डॉo विजय शंकर

जोड़-तोड़ खूब कर लेते हो।
जहां तोड़ लेना चाहिए ,
वहीं जोड़ लेते हो ,
समस्या को निपटा नहीं पाते ,
लिपटा लेते हो , गले लगा लेते हो।
उसी का राग अलापते हो ,
गीत गाते हो , छोड़ते नहीं ,
अलबत मौक़ा मिलते ही भुना लेते हो।
जिनको जोड़ लेना चाहिए ,
उन्हें भूले रहते हो।
संतुलन बनाये रखते हो।
कहते हो , राजनीति है ,
कर लेते हो।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 682

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 23, 2016 at 7:37pm
आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी रचना आप को पसंद आई , आभार , प्रशस्ति के लिए धन्यवाद , सादर।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 23, 2016 at 5:47pm

आदरणीय डॉ. विजय शंकर जी, क्या संतुलन बनाया है आपने! इसे ही तो राजनीति कहते हैं! वाह! वाह! सादर!

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 23, 2016 at 11:55am
आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी , रचना पर आपके आगमन एवं प्रशस्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 23, 2016 at 11:55am
आदरणीय सुश्री प्रतिभा पांडेय जी , रचना आपको अच्छी लगी , प्रसन्नता हुयी , आपकी प्रशस्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on August 23, 2016 at 11:27am
आदरणीय डॉ . विजय शंकर जी इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है ।
Comment by pratibha pande on August 23, 2016 at 9:36am

राजनैतिक मजबूरियाँ जिन्हें अक्सर संतुलन का नाम मिल जाता है ,पर तंज कसती सार्थक प्रस्तुति  हार्दिक बधाई आपको आदरणीय डॉ विजय शंकर जी ..सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 22, 2016 at 7:15pm
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , रचना पर आपकी सादर उपस्थिति एवं उसे प्रशस्ति प्रदान करने के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on August 22, 2016 at 7:14pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , रचना को स्वीकृति प्रदान करने के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Samar kabeer on August 22, 2016 at 3:05pm
जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,बहुत ख़ूब वाह, इस बहतरीन प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on August 22, 2016 at 2:55pm

शानदार रचना पर हार्दिक बधाई ! सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service