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दिलों को लूटती मेरी ग़ज़ल (राज)

१२२२ १२२२ १२

जदल से ऊबती मेरी ग़ज़ल

मुहब्बत ढूँढती मेरी ग़ज़ल

 

कहाँ वो प्यार उल्फ़त का जहाँ 

कलम से पूछती मेरी ग़ज़ल

 

कदूरत के समंदर चार सू

किनारा ढूँढती मेरी ग़ज़ल

 

न खिड़की है न रोशनदान है

जिया बिन सूखती मेरी ग़ज़ल

 

सुलगते तल्खियों के अर्श पे

सितारे  गूँथती मेरी ग़ज़ल

 

लिखे हर बार लफड़े रोज के

कसम से टूटती मेरी ग़ज़ल

 

अमन का रंग गर मिलता यहाँ

दिलों को लूटती मेरी ग़ज़ल

 

ख़ुलूसे-उल्फतों का जाम पी

नशे में झूमती मेरी ग़ज़ल 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 6, 2016 at 10:16am

आ० सुशील सरना जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ इस उत्साह वर्धन के लिए दिल से बहुत बहुत आभार |

Comment by Sushil Sarna on April 5, 2016 at 8:22pm

अमन का रंग गर मिलता यहाँ
दिलों को लूटती मेरी ग़ज़ल

ख़ुलूसे-उल्फतों का जाम पी
नशे में झूमती मेरी ग़ज़ल

वाह आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत खूब इस खूबसूरत महकती ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2016 at 11:45am

आ०  लक्ष्मण धामी भैय्या,इस उत्साह वर्धन करती  प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार  

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 5, 2016 at 11:02am

आ० राजेश दी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2016 at 10:43am

आ० निलेश जी ,ग़ज़ल पर शिरकत करने और दाद देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2016 at 10:42am

मनोज कुमार एहसास जी दिल बहुत- बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 5, 2016 at 10:41am

आ० डॉ० गोपाल भाई जी अपने सुन्दर शेर से  मेरी ग़ज़ल की दाद के लिए तहे दिल से आभार स्वीकारें मेरा लिखना सार्थक हुआ सादर .

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 5, 2016 at 10:33am

वाह वाह ,,बहुत ख़ूब ...

Comment by मनोज अहसास on April 5, 2016 at 10:19am
बहुत बहुत शुभकामनायें
इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आदरणीया
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 5, 2016 at 10:12am

नहीं आसान है तेरी गजल 

बहन वरदान है तेरी गजल -------- सादर . 

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