For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सुनो! आजकल न्यूज चैनल पर अदालती कार्यवाही की खबर सुनकर, यूँ लगता है कि क़ानून तेज और सबसे ऊपर है"

"हाँ! बिलकुल सही कह रही हो. यार!  रिमोर्ट कहाँ है..? थोड़ा वाल्यूम कम करना, वकील साहब का फोन आ रहा है "

"नमस्ते वकील साहब! कहाँ तक पहुंचा मामला..? अगली तारीख कब है..? "

"उन लोगों ने कहीं से कुछ साक्ष्य प्रस्तुत किये है हम कमजोर पड़ सकते हैं. और अगली तारीख इसी माह है..?

"इसी माह्ह्ह.. वकील साहब! इतनी गर्मी पड़ रही है. मेरा परिवार के साथ सैर-सपाटे पर जाने का प्लान है. आप ऐसा कीजिये न. पिछली बार की तरह डॉक्टर से मिलकर... बाकि फिर साहब ,  आप तो न्याय के मन्दिर के पुजारी ठहरे.."

जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 9, 2015 at 12:59am

आपका आत्मीय आभार, भाई महर्षि जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 9, 2015 at 12:58am

लघुकथा पर आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया हेतु आपका ह्रदय से आभार,आदरणीय डा.गोपाल जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 9, 2015 at 12:57am

आदरणीय विनय जी. लघुकथा पर आपकी स्वीकारोक्ति ,सार्थकता का प्रमाण है आपका हार्दिक आभार

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 9, 2015 at 12:56am

आप से सहमत हूँ, आदरणीय डा.विजय जी. किन्तु न्याय है या अन्याय, इस परिणाम तक पहुँचने के लिए समय की आवश्यकता होती है और इसी बीच कई दाव खेल लिए जाते है. आपकी उपस्थिति से बहुत मनोबल मिलता है, सर. आपका ह्रदय से आभार

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2015 at 4:58pm

बढ़िया लघु कथा हुई किसी भी प्रणाली में सुधार हम लोगों के बिना नहीं हो सकता और हम लोग ही हैं जो सुधर नहीं सकते तो सुधार क्या ख़ाक होगा ,बहुत बहुत बधाई इस व्यंग पर भैया जितेन्द्र जी 

Comment by maharshi tripathi on June 8, 2015 at 2:57pm
adunik kanoon ki nyaya padhti ki pol kholiti sundar rachna pr apko aapke anuj ka pranam...
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 8, 2015 at 2:44pm

उजास का मंदिर और न्याय के देवता,  क्या बात है  !

Comment by विनय कुमार on June 8, 2015 at 10:15am

// न्याय के मंदिर के पुजारी ठहरे //, अच्छी लघुकथा हुई है आदरणीय जीतेन्द्र जी , बधाई .

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 8, 2015 at 9:54am

कानून का इस्तेमाल न्याय के लिए हो, न की अन्याय या बाधाएं बढ़ाने के लिए , यह देखना स्वयं क़ानून का काम है ,
विषय पर सार्थक प्रस्तुति. बधाई, प्रिय जीतेन्द्र जी। सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service