For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कई रोज से खाली पेट थी
संभाल न सकी भूख
पसीज कर
दया करूणा ने
दो रोटी दस रूपये में
इतना भरा उसका पेट
फिर नौ माह
फूला रहा 


वो कुत्ता बिल्ली नहीं थी
बिना किसी एवज
भूख मिटा दी जाती
विक्षिप्त थी तो क्या
थी तो स्त्री न 

*******************************

आशा पाण्डेय ओझा 

मौलिक अप्रकाशित 

Views: 864

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 11:23pm

आदरणीय JAWAHAR LAL SINGH जी हार्दिक धन्यवाद आपकी कीमती प्रतिक्रिया के लिए


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2015 at 11:01pm

आदरणीया आशाजी, आपकी पंक्तियों ने दिल को चीर कर रख दिया है. जिस गहराई से आपने एकांगी दर्द को साझा किया है वह क्लिष्ट समाज की जुगुप्साकारी भावनाओं को परत-परत उघारती है. स्त्री की अस्मिता पर इतना बड़ा प्रश्न चिह्न लगाता हुआ वह समाज खिलवाड करता है जिसके लिए मातृसत्ता को नकारना कठिन है. हर कदम पर !.
आपकी प्रस्तुत रचना और आपकी संवेदनशीलता के प्रति मन नत है.
सादर बधाइयाँ

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 14, 2015 at 8:27pm

मार्मिक और हृदयविदारक पर समाज की सच्चाई की और इंगित करती हुई रचना आदरणीया आशा जी!

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 4:32pm

सम्मानीय somesh kumar जी धन्यवाद  सही खा आपने समाज में ऐसे  सभ्य विक्षिप्त  बहुत  हैं 

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 4:30pm

सम्मानीय  Hari Prakash Dubey जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका _/\_

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 4:29pm

सम्मानीय  khursheed khairadi जी दिल से आभार _/\_

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 4:29pm

स्नेहिल अमन कुमार जी बहुत बहुत शुक्रिया _/\_

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 4:28pm

हार्दिक धन्यवाद सम्मानीय  laxman dhami जी _/\_ वेसे नाम मेरा आशा है प्रतिभा नहीं 

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 4:27pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सर आपका हृदय से आभार 

Comment by asha pandey ojha on January 14, 2015 at 4:26pm

हार्दिक धन्यवाद सम्मानीय श्याम नारायण वर्मा जी _/\_

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service