For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकाएँ...

1.घन गरजे घनघोर
तिमिर चहुँ ओर
तृण-तृण से तन बहे
करके सब कुछ शांत
मेह हो गया शांत

..........................

2. सावन की फुहार
सृजन की मनुहार
रंगों का अम्बार
आयी बहार
हुआ धरा का
पुष्पों से शृंगार

.......................

3.बुझ गयी
कुछ क्षण जल कर
माचिस की तीली सी
जंग लड़ती साँसों से
असहाय ये काया

.........................

4.हर शाख पर
शूल ही शूल
फिर भी महके
शूल शय्या पर
जीवन बन
सुर्ख गुलाब

..........................

5.स्वयं से अंजान
स्वयं की पहचान
स्वयं को जान
झाँक स्वयं को
स्वयं में सिमटा
जीवन-मरण का 
शाश्वत ज्ञान

6.चिलचिलाती धूप में
तालियों के शोर में
करतब दिखाती बच्ची
रस्सी से गिर पड़ी
साँसों से संघर्ष भी
भीड़ को करतब लगा
सिक्के उछलते रहे
डुगडुगी बजती रही
इक रोटी की आस में

भूख मगर सिसकती रही

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on November 3, 2014 at 10:24am

बुझ गयी 
कुछ क्षण जल कर 
माचिस की तीली सी 
जंग लड़ती साँसों से 
असहाय ये काया

आदरणीय शुशील साहब भावपूर्ण एवं मार्मिक क्षणिकाएं हैं |सादर अभिनन्दन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 3, 2014 at 9:44am

सभी क्षणिकाएँ अपने अन्दर सच को छुपाये बहुत भावपूर्ण हैं अंतिम तो बहुत मार्मिक ...बहुत बहुत बधाई आपको आ० सुशील सरना जी 

Comment by Sushil Sarna on November 2, 2014 at 12:38pm

आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब क्षणिकाओं पर आपकी मोहक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 2, 2014 at 7:18am

बहुत ही भावपूर्ण रचना है आदरणीय सुशील सर बधाई स्वीकार करें

Comment by Sushil Sarna on November 1, 2014 at 7:37pm

आदरणीया  Chhaya Shukla क्षणिकाओं पर आपकी स्नेहिल  प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on November 1, 2014 at 7:36pm

आदरणीय   Dr. Vijai Shanker  क्षणिकाओं पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का हार्दिक आभार 

Comment by Chhaya Shukla on November 1, 2014 at 6:22pm

बड़े ही गहरे भाव समेटे हैं आपने क्षणिकाओं में आ. सुशील सरना जी हार्दिक बधाई आपको !

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 1, 2014 at 4:07pm

बहुत सुन्दर क्षणिकाएँ , अंतिम दो तो , बस छू लेती हैं अंतर्मन को।  बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service