For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अदाओं से उसका लुभाना गया - ग़ज़ल ( लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’ )

2122    1221     2212

************************
नीर पनघट  से  भरना, बहाना गया
चाहतों का वो दिलकश जमाना गया

***
दूरियाँ  तो  पटी  यार  तकनीक  से
पर अदाओं से उसका लुभाना गया

***
पेड़  आँगन  से  जब  दूर  होते गये
सावनों  का  वो मौसम सुहाना गया

***
आ  गये  क्यों  लटों  को बिखेरे हुए
आँसुओं  का  हमारे  ठिकाना  गया

***
नाम  उससे  हमारा  गली  गाँव  में
साथ  जिसके हमारा  जमाना  गया

***
गंद शहरी जो गिरने लगी रोज अब
झील  के  तट  परिंदों  नहाना गया

***
 ( रचना - 11 दिसम्बर 2011  )
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2014 at 10:59am


आदरणीय बहन प्राची जी आपको गजल अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है । स्नेह बनाए रखें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2014 at 10:59am


आदरणीय भाई गिरिराज जी रचना पर प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2014 at 10:59am


आदरणीया महिमा जी गजल पर आपकी उपस्थिति से उत्साहवर्धन हुआ है हार्दिक आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 27, 2014 at 10:58am

आदरणीय सौरभ भाई जी , आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ । इस स्नेहाशीष के लिए हार्दिक आभार ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 26, 2014 at 9:49am

अच्छे अशआर कहे हैं आ० लक्ष्मण धामी जी 

ये शेर तो बहुत पसंद आया ....

दूरियाँ  तो  पटी  यार  तकनीक  से
पर अदाओं से उसका लुभाना गया

बहुत बहुत बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2014 at 8:35pm

आदरणीय लाक्स्मन भाई , सुन्दर ग़ज़ल हुई है , बधाइयाँ स्वीका करें |

Comment by MAHIMA SHREE on August 25, 2014 at 7:53pm

बेहद उम्दा ग़ज़ल कही है आदरणीय धामी जी हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2014 at 3:39pm

इस अभ्यास का अपना महत्व है. वैसे अर्कान ही रोचक है.

बधाई

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 25, 2014 at 11:00am


आदरणीया राजेश बहन, आपकी उपस्थिति से गजल का मान और बढ़ गया । स्नेह बनाए रखें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 25, 2014 at 10:59am


आदरणीया सविता बहन, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service