For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज ....शाम कुछ अच्छी लगी !

मन शाम के बहानों से उदास

सोच के सागर किनारें

गुज़रते लम्हों के

सफ्हें बदलता रहा

कब आँखे थक कर

बैठ गयी ख़बर नहीं

ज़ेहन में एक तस्वीर

उभर आयी

शांत चेहरे पर

झीनी सी मुस्कराहट

होठों की नमी उड़ी थी कहीं

पर आँखे शरारती

जैसे कह रही थी मुझे

''अच्छा तो तुम अब ऐसे याद करोगी''

 

आँखे खुल गयी चौंक कर

कुछ नहीं था, कोई नहीं था

बस वो ख्याल था और

बहुत देर तक साथ रहा

 

आज शाम कुछ अच्छी लगी…..

(मौलिक एव अप्रकाशित)

प्रियंका.......

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:21pm

आदरणीया कुंती जी....सराहना के लिए आपका धन्यवाद....

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:20pm

आदरणीया मोहिनी जी.....आपका आभार ....

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:19pm

आदरणीय विजय सर .....रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार...... 

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 6:24pm

आदरणीया वन्दना जी ...बहुत बहुत शुक्रिया ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2014 at 10:11pm

आदरणीया प्रियंका जी , बहुत खूबसूरत रचाना के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥

Comment by coontee mukerji on January 20, 2014 at 3:15pm

आँखे खुल गयी चौंक कर

कुछ नहीं था, कोई नहीं था

बस वो ख्याल था और

बहुत देर तक साथ रहा....बहुत  सुंदर

Comment by mohinichordia on January 20, 2014 at 9:21am

nice poem

Comment by vijay nikore on January 20, 2014 at 8:44am

 

अति सुन्दर बिम्बों से सजी अत्यन्त मनोहारी, अनुपम रचना।

 

मन आनन्दित हो गया इसे पढ़ कर। ढेर सराहना के साथ ....

 

आपको हर्दिक बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।

 

सादर,

विजय निकोर

 

Comment by vandana on January 20, 2014 at 7:39am

कोमल भावों को समेटे प्यारी सी रचना आदरणीया प्रियंका जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
3 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
3 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service