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ज़िन्दगी तो रोज़ गम ही बाँटती है ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     2122      2122

जब उजाला चाहते थे सब दिये से

क्यों अँधेरा बंट रहा है हाशिये से

 

था क्षणिक उन्माद मैं ये मान भी लूँ

मूँद लोगे आँखें क्या अपने किये से ?


बोझ से कोई गिरा, कोई नशे में  

फर्क मुश्किल है, पिये का बेपिये से


ज़िंदगी तो रोज़ आँसू बाँटती है

हम चुराते हैं हँसी हर वाक़िये से


ये इलाज -ए- जख्म कैसा हो रहा है

क्यों ज़ियादा दर्द होता है, सिये से


हाँ ग़ज़ल कहने की कोशिश है मेरी भी 
डर मगर लगता है  ऐसे  काफिये से

 

      **************

मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )

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Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 3:43pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई , गज़ल की सराहना और हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से बधाई !!!!!

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 10, 2013 at 3:13pm

बहुत ख़ूब आदरणीय ..
किसलिये में, जिए में ...वो रस नहीं आया, जो आप की ग़ज़लों में मिलता है...
सिर्फ वाह वाह कर के आगे बढ़ जाना मुनासिब न लगा .... अत: ये टिप्पणी की है ...
थोडा समय और मांग रही है ग़ज़ल अभी ..
.
बोझ से कोई गिरा कोई नशे से ... ऐसा करने से गय्यता बढ़ जाएगी .. ऐसा मुझे लगता है. 
कृपया अन्यथा न लें
सादर  

Comment by Neeraj Neer on December 10, 2013 at 9:45am

हम  उजाला चाहते थे  हर दिये में

इसलिये तो  हम पडे  हैं हाशिये में..  बहुत बढ़िया,शुरुआत ही बहुत जबर्रदस्त.  सुन्दर ग़ज़ल .. बधाई आदरणीय 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 10, 2013 at 8:40am

बहुत बढ़िया गजल आदरणीय गिरिराज जी, यह खास पसंदीदा हुए दिली दाद कुबूल कीजिये

हम  उजाला चाहते थे  हर दिये में

इसलिये तो  हम पडे  हैं हाशिये में

 

ज़िन्दगी  तो रोज़ गम  ही बाँटती है

हम ही हँस लेते हैं हर इक वाक़िये में

 


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Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:44am

आदरणीय राम शिरोमणी भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!!


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Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:43am

आदरणीय सुशील भाई, हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया !!!!!!


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Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:43am

आदरणीय सुशील भाई, हौसला अफज़ाई के लिये आपका शुक्रिया !!!!!!


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Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:41am

आदरणीय शिज्जू भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!!


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Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:40am

आदरणीया मीना जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 7:39am

आदरणीय चन्द्रशेख्रर भाई , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!

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