For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई शिकवा गिला नहीं होता ।
तू अगर बावफ़ा नहीं होता ।।

रंग तुम भी बदल लिए होते ।
तो ज़माना ख़फ़ा नहीं होता ।।

आजमाकर तू देख ले उसको ।
हर कोई रहनुमा नहीं होता ।।

जिंदगी जश्न मान लेता तो ।
कोई लम्हा बुरा नहीं होता ।।

कुछ तो गफ़लत हुई है फिर तुझ से।
दूर इतना खुदा नहीं होता ।।

देख तुझको मिला सुकूँ मुझको ।
कैसे कह दूं नफ़ा नहीं होता ।।

दिल जलाने की बात छुप जाती ।
गर धुंआ कुछ उठा नहीं होता ।।

गर इशारा ही आप कर देते ।
मैं कसम से जुदा नहीं होता ।।

कुछ शरारत थी आँख की तेरी ।
बेसबब वह फ़िदा नहीं होता ।।

वो मुहब्बत की बात करते हैं ।
इश्क़ जिनको पता नहीं होता ।।

दर्द इतना है आपको शायद ।
आप से मशबिरा नहीं होता।।

आग सीने की बुझ गयी होती।
घर मेरा भी जला नही होता ।।

हाल मत पूँछ अजनबी बनकर ।
ज़ख्म तुझसे छुपा नहीं होता ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 721

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रक्षिता सिंह on June 15, 2018 at 3:23pm

आदरणीय नवीन जी नमस्कार , बहुत ही खूबसूरत गजल, दिली

मुबारकबाद कुबूल फरमायें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:33pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार के साथ नमन

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:31pm

आ0 गुमनाम पिथौरागढ़ी साहब हार्दिक आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:30pm

आ0 लक्ष्मण धामी साहब सादर आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:29pm

आ0 नीलम उपाध्याय जी सादर नमन के साथ आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:27pm

आ0 बसन्त कुमार शर्मा साहब तहे दिल से शुक्रियः

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 11, 2018 at 3:23pm

वाह एक से बढ़कर एक शेर हुए हैं आदरणीय , बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Neelam Upadhyaya on June 11, 2018 at 2:31pm

आदरणीय नवीन मणि जी, नमस्कार । खूबसूरत गजल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

"आग सीने की बुझ गयी होती। घर मेरा भी जला नही होता ।।

हाल मत पूँछ अजनबी बनकर । ज़ख्म तुझसे छुपा नहीं होता ।।"

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 11, 2018 at 8:33am

आ. भाई नवीन जी, बेहतरीन गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 10, 2018 at 6:14pm

वाह इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद......... वाह बहुत खूब।।।।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
1 hour ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
1 hour ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश , ग़ज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service