For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122 122 122 122

जरूरत नहीं अब तेरी रहमतों की ।

हमें भी पता है डगर मंजिलों की ।।

है फ़ितरत हमारी बुलन्दी पे जाना ।

बहुत नींव गहरी यहाँ हौसलों की ।।

अदालत में अर्जी लगी थी हमारी ।

मग़र खो गयी इल्तिज़ा फैसलों की ।।

भटकती रहीं ख़्वाहिशें उम्र भर तक ।

दुआ कुछ रही इस तरह रहबरों की ।।

उन्हें जब हरम से मुहब्बत हुई तो ।

सदाएं बुलाती रहीं घुघरुओं की ।।

न उम्मीद रखिये वो गम बाँट लेंगे ।

यहाँ फ़िक्र किसको रही आंसुओं की ।।

चुनौती अंधेरों से जब भी मिली तो ।

लगी कीमती रौशनी जुगनुओं की ।।

नदारद तबस्सुम है चेहरों से सबके ।

है तादात लम्बी यहां गमजदों की ।।

कहीं खो गयी आज इंसानियत फिर।

खबर ही नहीं आदमी को हदों की ।।

बिछे हैं यहां दागियों की डगर में ।

ये ख्वाहिश नहीं थी चमन के गुलों की ।।

नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित 

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 10:01pm

आ0 महेंद्र कुमार साहब आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:55pm

आ0 ब्रजेश कुमार ब्रज जी सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 11, 2018 at 9:46pm

आ0 नीलम उपाध्याय जी सादर नमन 

Comment by Neelam Upadhyaya on June 11, 2018 at 4:24pm

आदरणीय नवीन मणि जी, नमस्कार । खूबसूरत गजल के लिए मुबारकबाद कुबूल करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 9, 2018 at 2:57pm

वाह क्या कहने आदरणीय त्रिपाठी जी खूबसूरत ग़ज़ल..

Comment by रक्षिता सिंह on June 9, 2018 at 3:07am

आदरणीय नवीन जी नमस्कार , बेहतरीन गजल... मुबारकबाद कुबूल करें ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 8, 2018 at 11:10pm

आ0 लक्ष्मण धामी साहब शुक्रियः

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 8, 2018 at 11:09pm

आ0 महेंद्र कुमार जी सादर आभार।

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 8, 2018 at 11:08pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब तहे दिल से शुक्रियः

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 8, 2018 at 11:07pm

आ 0 गुमनाम पिथौरा गढ़ी साहब सप्रेम आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service