For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 212
लोग कब दिल से यहाँ बेहतर मिले ।
जब मिले तब फ़ासला रखकर मिले ।।

है अजब बस्ती अमीरों की यहां ।
हर मकाँ में लोग तो बेघर मिले ।।

तज्रिबा मुझको है सापों का बहुत ।
डस गये जो नाग सब झुककर मिले ।।

कर गए खारिज़ मेरी पहचान को ।
जो तसव्वुर में मुझे शबभर मिले ।।

मैं शराफ़त की डगर पर जब चला ।
हर कदम पर उम्र भर पत्थर मिले ।।

मौत से डरना मुनासिब है नहीं ।
क्या पता फिर जिंदगी बेहतर मिले ।।

भुखमरी के दौर से गुजरे हैं वो ।
खेत सारे गाँव के बंजर मिले ।।

आप से उम्मीद अच्छे दिन की थी ।
हाथ में क्यों आपके ख़ंजर मिले ।।

है बहुत इल्ज़ाम उन पर आपका ।
आप भी उनसे कहाँ कमतर मिले ।।

सिर्फ दौलत तक नज़र सबकी रही ।
अब तलक भी जो हमें रहबर मिले ।।

जब भी माँगा पांच सालों का हिसाब ।
आपके बदले हुए तेवर मिले ।।


--- नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 711

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 10, 2018 at 1:54pm

बेहतरीन गजल हुई है.. हार्दिक बधाई 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 9, 2018 at 2:42pm

वाह वाह आदरणीय त्रिपाठी जी सुन्दर सरस ग़ज़ल कही है..

Comment by narendrasinh chauhan on June 9, 2018 at 11:38am
बहोत सुन्दर रचना
Comment by Naveen Mani Tripathi on June 9, 2018 at 8:41am

आ0 रक्षिता सिंह जी सादर आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 9, 2018 at 8:41am

आ0 गंगा धर शर्मा साहब सादर आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 9, 2018 at 8:40am

आ0 बसंत कुमार शर्मा जी सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 9, 2018 at 8:39am

आ0 श्याम नारायण वर्मा जी हार्दिक आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 9, 2018 at 8:38am

आ0 रवी शुक्ला जी सप्रेम आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 9, 2018 at 8:37am

आ0 तेजवीर सिंह साहब सादर आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on June 9, 2018 at 8:37am

आ0 लक्ष्मण धामीसाहब सादर आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service