For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तज़ुर्बे (लघुकथा)

"लगता है कि अभी भी यह उड़ना नहीं सीख पायी।"


"अरे नहीं! दरअसल वह  उड़ना भूल चुकी है बुरे तज़ुर्बों से !" - नई सदी की हैरान, परेशान नवयौवना को घर की छत पर अनिर्णय की स्थिति में देख उसके इर्द-गिर्द हवा में उड़ते एक गिद्ध ने अपने साथी कौवे से कहा। कौवा उस गिद्ध को घूरने सा लगा।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 692

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 13, 2018 at 2:56am

मेरे प्रयास के अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय विजय निकोरे साहिब और आदरणी‌य सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप साहिब

Comment by vijay nikore on April 11, 2018 at 11:39am

कम शब्दों में इतनी कटाक्षपूर्ण लघु कथा, वाह ! आनन्द आ गया पढ़ कर। आपको हार्दिक बधाई, आदरणीय शैख शहज़ाद उस्मानी जी

Comment by नाथ सोनांचली on April 11, 2018 at 5:13am

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बढिया व्यंग्यात्मक लघुकथा। गिद्ध कौवे के माध्यम से आपने ऐसी बातें कह दी कि इस लघुकथा को पढ़कर जेहन से इस बात को उतारना मुश्किल। वाकई बेहतरीन। बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं आपको आगे की लघुकथाओं के लिए। सादर

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 11, 2018 at 4:22am

बहुत ही प्रोत्साहक टिप्पणी के साथ इस रचना को मान दे कर लेखक की‌ हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता कसार जी और आदरणीय महेंद्र कुमार जी।

Comment by Nita Kasar on April 9, 2018 at 6:19pm

बुरे  तजुर्बे ही अच्छे तजुर्बे की राह खोलते है बस हौंसलाअफजाई होना चाहिये कथा के लिये बधाई आद० शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।

Comment by Mahendra Kumar on April 9, 2018 at 3:14pm

कम शब्दों में शानदार लघुकथा कही है आपने आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी। प्रतीकों का उम्दा प्रयोग करते हुए बढ़िया व्यंग्य किया है आपने। ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए। सादर। 

Comment by Samar kabeer on April 9, 2018 at 2:48pm

जज़ाकल्लाह !

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 9, 2018 at 2:33pm

"मुहब्बत की नहीं जाती हो जाती है!" ऐसा ही है साहित्य सृजन और साहित्यकारों के साथ!

Comment by Samar kabeer on April 9, 2018 at 2:29pm

"साहिर" की पंक्ति याद आ गई :-

"मुझको इतनी महब्बत न दो दोस्तो

मैं तो कुछ भी नहीं"

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 9, 2018 at 2:24pm

शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब। डिक्शनरी ख़रीद ही लूंगा। वैसे आप ही काफी हैं इस सम्मानित मंच पर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service