For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मधुर' जी की मधुर स्मृति .......

11-02-2018 "मधुर" जी के स्मृति में भावभीनी श्रद्धाञ्जलि

छन्द विधा : शक्ति छंद

*********************

कहां प्यार ऐसा मिलेगा कहीं,

हमारे सखा सा जहां में नहीं।

दिया प्यार इतना कि कर्जित हुए,

हुई आंख नम जो थे गर्वित हुए।

 

हमारा सभी का बड़ा भाग था,

अकल्पित उन्हीं पे झुका राग था।

"मधुर" जी में किंचित नहीं द्वेष था,

 अकिंचन हुआ आज जो शेष था।

 

कहीं राग बिखरे कहीं रागिनी,

कृतियों में जो थी वही वागिनी।

 तिया रागिनी आज कैसे बने,

सनी धूल में राग हैं सामने।

 

असिंचित धरा है खुलाआसमाँ,

सभी आश का संघनन है थमा।

 बिना दामिनी संघनित मेह का,

 अपूर्णीय रिक्ती हुआ नेह का।

 

न आगोश में ख्वाब ठहरा अभी,

ढहा रेत के भीत जैसा तभी,

 मिली कीर्ति हाथों में आया जहाँ,

अभी थे फलक पे अभी हैं कहाँ ।

 

बड़ी गूढ़ राहें नयन मोड़ के

 न जाने कहाँ खो गए छोड़ के

 हताशा निराशा दिया टीस है,

 इतना वो निष्ठुर कहाँ ईश है।

 

“विनोद” (मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 664

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on February 22, 2018 at 2:31pm

आद0 शरद जी सादर अभिवादन। प्रयास उत्तम है, शेष गुणीजनों ने कह दिया है। सादर

Comment by रामबली गुप्ता on February 22, 2018 at 11:39am

आदरणीय शरद सिंह जी रचना पर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

बताना चाहूँगा कि आपकी रचना में तमाम शैल्पिक त्रुटियों के साथ-साथ कई बंदों के भाव भी उलझे हुए हैं। अतः रचना अभी पर्याप्त समय मांग रही है।

प्रथम छंद को लीजिये-कर्जित का क्या आशय लिया है आपने? छंदों में मात्रा पतन स्वीकार नही-हुई आँख नम जो थे** गर्वित हुए। थे पर मात्रा गिराई गई है।

इसी प्रकार दूसरे छंद में -मधुर जी में** किंचित......में पर मात्रा पतन है। 

अकिंचन हुआ आज जो शेष था- इसमें आप क्या कहना चाहते हैं?

तीसरे छंद के द्वितीय पद के प्रारम्भ में ही शिल्प भंग है और वागिनी का क्या आशय लिया है आपने?

चौथे छंद में आसमाँ और थमा में तुकान्तता त्रुटिपूर्ण है। रिक्ति सही शब्द है। रिक्ती मने क्या आशय लिया है आपने?

मिली कीर्ति हाथों में***.....में पर मात्रा पतन दोषपूर्ण है।

बड़ी गूढ़ राहे नयन मोड़ के-क्या आशय लिया है आपने इस बंदिश में?

टीस और ईश में तुकान्तता दोषपूर्ण है।सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 21, 2018 at 3:56pm

बहुत खूबसूरती से आपने भावी को व्यक्त किया है आदरणीय..सादर

Comment by Samar kabeer on February 21, 2018 at 3:25pm

जनाब "विनोद" जी आदाब, शक्ति छन्द पर आधारित 'मधुर'जी को अच्छी श्रद्धांजलि दी है आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'असिंचित ज़मीन है खुला आसमाँ'

इस पंक्ति में मात्रा बढ रही है,इसे यूँ होना था :-

"असिंचत ज़मीं है खुला आसमाँ"

इसके अलावा दूसरी पंक्ति में 'आसमाँ' के साथ 'थमा' की तुकान्तता सही नहीं है,देखियेग ।

"बिना दामिनी संघनिन नेहा का'

इस पंक्ति के अंत में 12 की जगह 'हा का'22 हो रहा है ।

'अपूर्णीय रिक्ति हुआ मेह का'

इस पंक्ति की मात्राएँ देखें ।

'मिली कीर्ति हाथों में आया जहाँ'

इस पंक्ति की मात्राएँ भी चेक करें ।

'इतना वो निष्ठुर कहाँ ईश है'

इस पंक्ति की मात्राएँ भी चेक करें, और 'टीस' के साथ 'ईश' की तुकान्तता सही नहीं है,देखियेग ।

Comment by Shyam Narain Verma on February 19, 2018 at 7:03pm
बहूत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service