For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SHARAD SINGH "VINOD"
  • Male
  • BHADOHI, UTTAR PRADESH
  • India
Share on Facebook MySpace
 

SHARAD SINGH "VINOD"'s Page

Latest Activity

SHARAD SINGH "VINOD" commented on Usha Awasthi's blog post ख़्याली पुलाव
"यही लक्ष्य है मानवता का इसीओर सब बढ़े चलें, सभी प्रयासरत हो करके, ख्याली सीढ़ी चढ़े चलें। आदरणीया आपकी यही ख्याली पुलाव ही मानव संस्कृत का चरम लक्ष्य होना चाहिए……सादर।"
Jan 6, 2022
SHARAD SINGH "VINOD" commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक -६( लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )
"आदरणीय Methani जी की सरलता व 'मुसाफिर' जी की रचना दोनों सराहनीय ……"
Jan 6, 2022
SHARAD SINGH "VINOD" updated their profile
Nov 15, 2021
SHARAD SINGH "VINOD" commented on TEJ VEER SINGH's blog post सत्य की तलाश  - लघुकथा –
"आदरणीय.... मार्मिक व्यंग्योक्ति"
Oct 9, 2020
SHARAD SINGH "VINOD" commented on Sheikh Shahzad Usmani's blog post फ़िर वही राग (क्षणिकायें)
"क्या सिर्फ दीपक तले अँधेरा? पूर्वाग्रह से कब आता है सबेरा...."
Oct 27, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
BHADOHI
Native Place
Gadaura
Profession
teacher
About me
simple honest and hardworker

SHARAD SINGH "VINOD"'s Blog

अहा! वत्सला मातृ द्रष्टा हुआ मैं।

भुजंग प्रयात छन्द (122 -122-122-122)



बड़ा तंग करता वो करके बहाने,

बड़ी मुश्किलों से बुलाया नहाने।

किया वारि ने दूर तंद्रा जम्हाँई,

तुम्ही मेरे लल्ला तुम्ही हो कन्हाई।



कभी डाँटके तो कभी मुस्कुरा के,

करे प्यार माता निगाहेँ चुराके।

बड़े कौशलों से किया मातु राजी,

पढ़ो लाल जीतोगे जीवन की बाजी।



सुना जी हिया-उर्मि के नाद को…

Continue

Posted on February 25, 2018 at 12:37pm — 3 Comments

'मधुर' जी की मधुर स्मृति .......

11-02-2018 "मधुर" जी के स्मृति में भावभीनी श्रद्धाञ्जलि

छन्द विधा : शक्ति छंद

*********************

कहां प्यार ऐसा मिलेगा कहीं,

हमारे सखा सा जहां में नहीं।

दिया प्यार इतना कि कर्जित हुए,

हुई आंख नम जो थे गर्वित हुए।

 

हमारा सभी का बड़ा भाग था,

अकल्पित उन्हीं पे झुका राग था।

"मधुर" जी में किंचित नहीं द्वेष था,

 अकिंचन हुआ आज जो शेष था।

 

कहीं राग बिखरे कहीं…

Continue

Posted on February 19, 2018 at 3:30pm — 5 Comments

: भई विचलित व्रत, रति सत्ता से : 26/07/2005

हो न कभी राग रति से, यही लिया व्रत ठान |

कर लूँ कुछ सत्कर्म सृजित , हो मेरा यश गान |

बेधा उर रति-बान ने, दीक्षा पे आघात |

छंदरूप मृदु गात लखि, व्रत है टूटा जात ||

 

अपलक भए नेत्र मोरे, देखि अनुप रूप को |

वक्ष गिरि, कटि गह्वर, रसद मधुर गात है |

मचलै ना माने हिय लोचन निहार हार |

कबरी पे आँचल फसाए चाली जात है |

कर्ण-कुण्डल कपोल छुए, अधर सोहे मूँगे सा |

नयना कमल हो मानो मुखड़ा प्रभात है |

पाँव से शीश लाइ, समांग…

Continue

Posted on June 4, 2015 at 7:30pm — 8 Comments

-: खींच अहं के मग से डग प्रभु :-

-: खींच अहं के मग से डग प्रभु :-  (संसोधित)

खींच अहं के मग से डग प्रभु,

रख लें अपने चरणों में ||

है परम कांति अरु चरम शांति जो,

और किसी ना शरणों में |

सजा हुआ मद की बेड़ी मे,

जड़ा हुआ हूँ कहीं सिखा पर,

तोड़ एकांकी अहं का आसन,

मिला लें पद रज-कणों में |

खींच अहं के मग से डग प्रभु,

रख लें अपने चरणों में ||

यह राह नहीं है सीधा-सादा ;

मैं निकल पड़ा जिसपर |

रसहीन…

Continue

Posted on May 25, 2015 at 8:00pm — 12 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service