For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भावनात्मक दरारें

माता पिता की ज़ख्मों वाली पीठ,
को न सहलाना,
परिवार की मुस्कुराहटों में,
न मुस्काना,
दोस्तों की खामोशियों में,
चुप रह जाना,
अपनों के दिलों में,
न झाँक पाना,
हमारी मजबूरियां नहीं,
कमजोरियां हैं,
जो अक्सर अपने,
बंधनों के,
एक धागे को,
तोड़ जाती हैं,
भावनात्मक दरारें हैं ये,
नहीं भरो तो,
निशान छोड़ जाती हैं .

किसी शीतल सुबह,
अपनी हथेलियों में,
ओस की बूँदें भरो,
अपने अहं को कर किनारे,
उसमे मिलाओ,
प्रेम की बहारें,
और कर दो अर्पित,
अपनों को सारे.
ये कोई खाइयाँ नहीं हैं,
की न पाट पाओगे,
भावनात्मक दरारें हैं ये,
अपनों की अपनों से,
प्यार से समझ जाएँगी,
बहुत पानी नहीं चाहिए,
इनके लिए,
महज़ ओस से ही,
भर जाएँगी.


Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by neeraj tripathi on April 12, 2011 at 5:42pm
dhanyavaad Dr Naman ji
Comment by डॉ. नमन दत्त on April 12, 2011 at 5:40pm
बहुत सुन्दर और अर्थपूर्ण रचना है...इसके लिए साधुवाद स्वीकारें....
Comment by neeraj tripathi on April 9, 2011 at 5:35pm
Thanks Lataji
Comment by Lata R.Ojha on April 9, 2011 at 5:25pm
bahut sundar .. :)
Comment by neeraj tripathi on April 9, 2011 at 3:59pm
dhanyavaad rajiv ji evam arunji
Comment by Abhinav Arun on April 9, 2011 at 3:27pm
सुन्दर सार्थक सन्देश देती रचना साधुवाद स्वीकार करें !!
Comment by Rajeev Mishra on April 5, 2011 at 5:27pm

bahut hi sunder rachna

 

ek sunder sandesh

Comment by neeraj tripathi on April 5, 2011 at 9:26am
Thank you Ashish ji.
Comment by आशीष यादव on April 5, 2011 at 8:07am

भावपूर्ण कविता,

बहुत पानी नहीं चाहिए,
इनके लिए,
महज़ ओस से ही,
भर जाएँगी.

सचमुच हृदयस्पर्शी|

Comment by neeraj tripathi on April 5, 2011 at 7:11am
vivekji...dhanyavaad

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरनाजी, कई तरह के भावों को शाब्दिक करती हुई दोहावली प्रस्तुत हुई…"
1 minute ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उमर  का खेल ।स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।खूब …See More
47 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
1 hour ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय निलेश सर ग़ज़ल पर इस्लाह करने के लिए सहृदय धन्यवाद और बेहतर हो गये अशआर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आ. आज़ी तमाम भाई,अच्छी ग़ज़ल हुई है .. कुछ शेर और बेहतर हो सकते हैं.जैसे  इल्म का अब हाल ये है…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आ. सुरेन्द्र भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है बोझ भारी में वाक्य रचना बेढ़ब है ..ऐसे प्रयोग से…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेंदर भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको , गुनी जन की बातों का ख्याल कीजियेगा "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय आजी भाई , ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है , दिली बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह वा , आदरणीय लक्ष्मण भाई बढ़िया ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service