For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौसम कहाँ जाये बदल जानें कहाँ बरसात हो |

२२१२   २२१२   २२१२  2212
मौसम  कहाँ जाये  बदल जानें कहाँ बरसात हो |
दहशत भरे माहौल में जाने  कहाँ  पर  घात  हो |
कैसे  करे दोस्ती कहीं  जा कर किसी भी  देश में ,
सहमें जमाना   मेल से  कोई   कहीं ना बात हो |
कोई करे   कोई भरे     बदनाम हो    कोई कहीं ,
आतंक के माहौल में जाने किसी घर  मात  हो |
जाकर कहीं अंजान दुनिया में  बसाते घर  सभी  ,
सपने सजाते  हैं उमर भर जैसा भी औकात  हो  | 
पाखी उड़े जब आसमां में हौसला कम ना हो कभी ,
वर्मा जहाँ में खुश रहें हर जन खुशी की  बात हो |
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 502

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on March 12, 2015 at 4:06pm

आदरणीय सभी लोगों को  रचना भाव पसंद करने हेतु हार्दिक आभार , कृपया स्नेह बनाए रखे | सादर

आदरणीय शिज्जू  'शकूर' जी कौन सा शब्द उचित रहेगा , आप का बहुत बहुत आभार |
सादर ,

Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 2:16pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, इस सुन्दर और सधी हुई ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई ! सादर
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:37am

दहशत भरे माहौल में जाने  कहाँ  पर  घात  हो |

बहुत खूब कहा भाई श्याम जी हार्दिक बधाई .

Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 9:10am
मौसम  कहाँ जाये  बदल जानें कहाँ बरसात हो |
दहशत भरे माहौल में जाने  कहाँ  पर  घात  हो |
कैसे  करे दोस्ती कहीं  जा कर किसी भी  देश में ,

सहमें जमाना   मेल से  कोई   कहीं ना बात हो |

आदरणीय श्याम जी ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 12, 2015 at 5:56am

दहशत भरे माहौल में जाने  कहाँ  पर  घात  हो.....यही सच है आज की दुनियाँ का ..प्रभावी रचना ...बधाई श्याम नारायण वर्मा  जी 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 11, 2015 at 10:25pm

समसामयिक प्रस्तुति पपर हार्दिक बधाई आ० shyam नारायण जी!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 11, 2015 at 8:28pm

आदरणीय श्याम नारायण जी ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास है बहुत बहुत बधाई। यहाँ इतना ध्यान रखियेगा कि दोस्ती का वज्न 212 है

Comment by Shyam Mathpal on March 11, 2015 at 7:40pm


Aadarniya Shyam Verma Ji,

Bahut sundar tarike se gazal ki suruwat ki hai. Bahut-2 badhai.

दहशत भरे माहौल में जाने  कहाँ  पर  घात  हो |
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 11, 2015 at 7:08pm

आ० वर्मा जी

बहुत अच्छी गजल कही आपने i  सादर i

Comment by maharshi tripathi on March 11, 2015 at 5:26pm
पाखी उड़े जब आसमां में हौसला कम ना हो कभी ,
वर्मा जहाँ में खुश रहें हर जन खुशी की  बात हो |,,,,,,,,अतिसुन्दर ,,,,बहुत बधाई आपको आ.श्यामनारायण वर्मा जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service