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अक्सर मै सोचा करता हूँ

अक्सर मै सोचा करता हूँ,  ख़यालों में डूबकर|

तू आती तो मेरी जिंदगी यूँ रंगीन होती,

कलम चलती, कोई कोरा कागज़ रंग जाता|

मगर ये विधान, मेरे जीवन में तेरा खुबसूरत दखल,

खुबसूरत वक़्त, जो तूने बिताये मेरे साथकुछ पल|

आज भी सोचता है ये दिल, तसव्वुर में डूब कर|

अक्सर मै सोचा करता हूँ....................................

 

सुधि नहीं रहती है अब, मै तुझ से कहाँ आजाद हूँ|

कुछ लोग तरस खातें हैं मुझपे, कहतें हैं मै बरबाद हूँ|

मैं जो डूबा हुआ हूँ तुझ में, बिना चिंता फिक्र के,

तुम हो तो जहाँ अपना लगता है, लगता है मै आबाद हूँ|

अक्सर मै सोचा करता हूँ.......................................

 

 

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Comment by आशीष यादव on January 25, 2011 at 8:44pm
S D sir, ajay bhaiya & sharda ji hausla aafjai k liye bahut bahut dhanywad.
Comment by Ajay Singh on January 22, 2011 at 8:37pm
very good ashish ji........
Comment by आशीष यादव on January 21, 2011 at 3:51pm
Dr.Brijesh Kumar Tripathi सर, लता जी अरुण सर, bahut bahut धन्यवाद|
Comment by Abhinav Arun on January 21, 2011 at 12:36pm
दिल के खूबसूरत ख़याल और उनकी बेहतरीन अभिव्यक्ति , बधाई आशीष जी !
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on January 21, 2011 at 9:26am
Indeed lovely...so nice expession...keep it on
Comment by Lata R.Ojha on January 20, 2011 at 3:39pm
bahut sundar abhivyakti  :)
Comment by आशीष यादव on January 20, 2011 at 2:55pm
virender sir, raju bhaiya, bagi ji, aur Deepak sir; hausala aafjai ke liye bahut bahut dhanywaad.
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on January 20, 2011 at 2:45pm
sundar

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 13, 2011 at 8:32pm

अक्सर मै सोचा करता हूँ,  ख़यालों में डूबकर...........

बहुत बढ़िया सोच रहे है आशीष भाई, ऐसे ही सोचिये......अच्छी कविता लिखी है आपने बधाई स्वीकार करे |

Comment by Raju on January 13, 2011 at 8:20pm
bahut hi sundar kavita likhi hai Aashish bhai apne...... bahut bahut badhai...

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